जयपुर। महिलाएं विकास की ओर कदम बढ़ाते राजस्थान की नई इबारत लिख रही हैं। वे सशक्त हो रही हंै, उनका पहनावा, उनकी सोच, उनका हाव-भाव और अंदाज सब कुछ बदल रहा है। अब कामकाजी जगहों पर महिलाएं ज्यादा नजर आने लगी हैं। महिला प्रोफेशनल्स की संख्या में भी इजाफा हुआ है। बीस साल पहले पंचायती राज और निकाय चुनावों में महिलाओं को प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिलना बदलाव की पहली छलांग थी, तब महिलाओं ने पहली बार घरों की दहलीज को लांघा, नेतृत्व किया। बीस साल बाद पंचायती राज जैसी संस्थाओं में पचास फीसदी महिलाएं भागीदारी निभाने लगी हैं। विधानसभा, लोकसभा चुनाव में भागीदारी से लेकर एजुकेशन, ड्राइविंग, स्वरोजगार में महिलाएं साल दर साल खुद को दर्ज कर रही हैं। राज्य में महिलाओं की स्थिति के सर्वे में पता चला है कि बीस सालों में हर क्षेत्र में महिलाओं की ताकत बढ़ी है। राज्य में महिलाओं की स्थिति में अप्रत्याशित बदलाव तो नहीं आया है, लेकिन जितना भी परिवर्तन दिखाई दे रहा है, उससे लगता है कि भविष्य की राह और बेहतर होगी। संसद ने संपत्ति में महिलाओं का हिस्सा सुनिश्चित करने वाले विधायक को मंजूरी दे दी है। पंचायती राज संस्थाओं व निकायों में महिलाओं की 50 फीसदी भागीदारी तय हो चुकी है। छेड़छाड़ और दुष्कर्म जैसी घटनाओं में उम्र कैद व मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान किया गया है। बीस साल में महिलाओं की स्थिति में खासा बदलाव हुआ है। महिलाओं की आबादी जो बीस साल पहले 2.09 करोड़ थी वो अब बढ़ कर 3.29 करोड़ हो गई है। जनसंख्या बढऩे के साथ महिला साक्षरता 32.2 प्रतिशत बढ़ी है। बीस साल पहले यह जहां 20.4 प्रतिशत थी वो अब बढ़ कर 52 प्रतिशत पर पहुंच गई है। महिलाओं के नाम मकानों की रजिस्ट्री में भी खासी बढ़ोतरी हुई है। 20 साल पहले यह जहां मात्र 21 प्रतिशत ही थी वो अब बढ़ कर 44 प्रतिशत हो गई है। नौकरियों में भी महिलाओं का प्रतिशत खासा बढ़ा है। बीस साल पहले जहां मात्र 5 प्रतिशत महिलाओं के ही बैंक खाते थे वहीं, अब यह बढ़ कर 58 प्रतिशत हो गए हैं।
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