चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी से टूट कर बने राजनीतिक मोरचे और राजनीतिक दल आप के लिए आखिरी कील साबित होंगे। पार्टी से टूट कर वजूद में आई पंजाब फ्रंट, डेमोक्रेटिक स्वराज पार्टी और वालंटियर फ्रंट जैसी राजनीतिक पार्टियां आम आदमी पार्टी का अंतिम संस्कार करने के लिए काफी हैं।
पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल के सलाहकार और शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि आम आदमी पार्टी अपने वफादार सिपाहियों को जोड़े रखने में नाकाम साबित हुई है। पार्टी के आधे सांसद पार्टी को छोड़ चुके हैं। बाकी बचे आधे सांसद डॉक्टर धर्मवीर गांधी और हरिंदर सिंह खालसा पार्टी की नीतियों से खफा हैं। आए दिन पार्टी को छोडऩे वाले नेता नई सेे नई पार्टियों का ऐलान कर रहे हैं। यहां तक कि पार्टी दूसरे दलों से आए वरिष्ठ नेताओं तक को रोक पाने में असफल रही है। ऐसे नेता अपने दलों में वापसी करने लगे हैं। पार्टी में फैले भ्रष्टाचार, तानाशाही और कर्मठ कार्यकर्ताओं के शोषण ने पार्टी की नीयत और कामकाज को सवालों के घेरे में ला खड़ा कर दिया है। लोगों का पार्टी से मोहभंग हो चुका है और पार्टी पूरी तरह टूटने के कगार पर पहुंच गई है।
उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की लीडरशिप को न तो पंजाब और पंजाबियों की संस्कृति का ज्ञान है और न ही उन्हें पंजाब की परंपराओं की कोई जानकारी। पार्टी के तानाशाही रवैये के चलते लोग टूट कर बाहर जा रहे हैं। पार्टी से टूट कर बने इन छोटे राजनीतिक दलों को यह समझ में आ गया है कि पंजाब के हित आम आदमी पार्टी के हाथों में सुरक्षित नहीं हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार से पंजाब पहुंचे आम आदमी पार्टी के लोगों का मकसद सिर्फ पैसा बनाना है। पैसों के लिए टिकट बेचे जा रहे हैं।
सिरसा ने कहा कि आम आदमी पार्टी की वजह से पंजाब में राजनीतिक प्रदूषण चरम पर पहुंच चुका है। पार्टी ने लोकतांत्रिक ढांचे और भाईचारे की परिभाषा ही बदल कर रख दी है। रही सही कसर चुनावों से पहले ही गिद्ड़बाहा में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के खूनी टकराव ने पूरी कर दी है।
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