नरेश अग्रवाल, दर्शन सिंह यादव, पारसनाथ यादव और रेवती रमण सिंह जैसे मुलायम के पुराने साथियों को राज्यसभा की सीट थमा दी गई। कोशिश यही रही कि, साथियों का सम्मान भी रहे और अखिलेश की राह में रोड़ा भी ना रहे। यहां तक कि, बेनी प्रसाद वर्मा की पार्टी में इसी शर्त पर वापसी हुई कि, वो अखिलेश सरकार के काम-काज में दखल नहीं देंगे, जिसके बाद उनको भी राज्यसभा का सांसद बनाया गया।
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