अभिषेक मिश्रा, लखनऊ। राजनीतिक
दलों के कार्यालयों में बहुमत व गठबंधन को लेकर तो कयास लगाये हरी जा रहे थे अब जिले
की सभी नौ सीटों पर मतदान सम्पन्न होने के साथ ही प्रत्याशियों की जीत-हार को लेकर
अटकलबाजी का दौर शुरू हो गया है। कौन जीतेगा, किसकी होगी शिकस्त, किस पार्टी या गठबंधन की सरकार बनेगी? इसको लेकर
गली-मोहल्लों व बाजारों में बाजियां लग रही हैं। गली-मोहल्लों से लेकर पॉश व
नवविकसित कालोनियों और बाजारों में हर ओर बस इसी बात की चर्चा है कि किसकी जीत
होगी और किसकी पराजय? यही नहीं पान की गुमटियों व चाय के ठेलों पर भी प्रत्याशियों
के जीतने और हारने पर कयास लगने लगे हैं। प्रत्याशियों से लेकर राजनीतिक दलों से
जुड़े कार्यकर्ताओं के बीच मतदान सम्पन्न होने के साथ ही चुनाव कार्यालयों पर जहां
समीक्षा बैठकों का दौर शुरू हो गया है, कई दलों के प्रत्याशियों ने यहां मतदान बूथों
पर तैनात अपने प्रभारियों व एजेन्टों से मुलाकात की वहीं पोलिंग बूथवार पड़े मतों
के प्रतिशत की जानकारी लेने के साथ ही अपनी गणित लगाना शुरू कर दिया। [# विधायक बनने की दौड़ में खड़े इस प्रत्याशी को नहीं पता MLA की फुल फॉर्म] [# अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
राजनेताओं के बीच भी मतदान के बाद जहां मोबाइल पर जीत-हार की र्चचाओं का दौर शुरू
हो गया, वहीं गली-मोहल्लों और कालोनियों के साथ ही बाजारों में भी खेमों के बीच
प्रत्याशियों की जीत-हार को लेकर बाजियां लगने का सिलसिला जोरों पर पहुंच गया है।
हालांकि सभी की निगाहें ग्यारह मार्च को होने वाली मतगणना पर टिकी हुईं हैं। इसके
साथ ही हर प्रत्याशी व उनके समर्थक अपने पक्ष में पड़े मतों को लेकर कयास लगाने
लगे। बूथ प्रभारी से पड़े मतों की रिपोर्ट लेने के साथ प्रत्याशी भी अपने खास
समर्थकों के साथ अपनी जीत को लेकर गणित लगाने में जुट गये। उधर सरकारी व निजी
कार्यालयों के साथ ही घरों में महिलाएं व मौजूद रहने वाले बुजुर्ग भी टेलीविजन पर
मतदान के समीक्षात्मक समाचार देखने के दौरान प्रत्याशियों की जीत-हार को लेकर
अटकलें लगा रहे हैं। किसकी फाइट किससे हुई है और कौन जीत का परचम फहराएगा इसको
लेकर हर ओर र्चचाओं का बाजार गर्म है।
प्रमुख बाजारों अमीनाबाद, नरही, मौलवीगंज, फतेहगंज, भूतनाथ, रकाबगंज, यहियागंज, खदरा, राजाजीपुरम, चौक, चौपटिया, ठाकुरगंज
सहित प्रमुख बाजारों में भी व्यापारियों के बीच चुनावी परिणाम को लेकर ही अटकलें
लगती रहीं। कई तो प्रत्याशियों की जीत हार पर शर्त और दांव भी लगाने में पीछे नहीं
रहे। प्रत्याशियों की जीत-हार को लेकर किस दल की सरकार बनेगी इस पर चर्चाओं का दौर
शुरू हो गया। कई व्यापारी तो अपने पसंदीदा दल के प्रत्याशियों की जीत को लेकर बाजी
लगाने में मशगूल हैं।
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