उन्होंने कहा,किसान और खेतिहर मजदूर जो सहकारी कर्ज पर निर्भर थे, उन्हें
नोटबंदी के बाद ज्यादा नुकसान उठाना प़डा। मैं उनकी कठिनाइयों को दूर करने
के लिए 100 करोड रूपये के विशेष कोष का प्रस्ताव करता हूं। उन्होंने कहा कि
उच्च मूल्य वाले नोटों की नोटबंदी से सिर्फ सूक्ष्म और मध्यम उद्यम ही
नहीं प्रभावित हुए हैं, बल्कि इसने सभी क्षेत्रों की पूरी आपूर्ति श्रृंखला
को ही नष्ट कर दिया है। इससे देश और राज्यों की अर्थव्यवस्था व विकास पर
प्रतिकूल प्रभाव पडा है।
मित्रा ने कहा कि प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रयों ने अनुमान जताया है कि इसका
सकल घरेलू उत्पाद पर 1 से 3.5 फीसदी तक प्रभाव पड सकता है। राज्य की आर्थिक
विकास दर घट कर 9.27 फीसदी हो सकती है। उन्होंने राज्य के कर्ज का भी जिR
किया। मित्रा ने कहा,साल 2006-2007 में दस साल पहले जो कर्ज वाम सरकार ने
लिया था उसके पुनर्भुगतान का समय पूरा हो गया है। साल 2016-17 में मूलधन का
पुनर्भुगतान और ब्याज का कुल भार 40,000 करोड रूपये हो जाएगा। यह साल
2017-18 तक बढकर 47,000 करोड से ज्यादा हो जाएगा।
आशा कर्मियों के भत्ते में बढोतरी प्रस्ताव...
उन्होंने एकीकृत बाल विकास सेवा व आशा कर्मियों के मासिक भत्ते में 500
रूपये की बढोतरी का भी प्रस्ताव रखा।
घर खरीदारों को प्रोत्साहित करने के क्रम में उन्होंने बिक्री की स्टांप
ड्यूटी में वर्तमान दर 5-7 फीसदी को कम करके 2 फीसदी कर दिया है।
(आईएएनएस)
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