शिमला। बेरोजगारी भत्ते पर परिवहन मंत्री जीएस बाली के अपनी सरकार को कठघरे में खड़ा करने से मचे सियासी घमासान के बीच मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि बेरोजगारी भत्ता देना व्यवहारिक नहीं है तथा किसी भी सरकार के लिए इसे देना संभव नहीं है। कांग्रेस सरकार ने पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में उल्लेख किए गए बेरोजगारी भत्ते से पल्ला नहीं झाड़ा है तथा इसे कौशल विकास भत्ते के रूप में उन्हीं शर्तों पर बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए दिया जा रहा है। [@ वर्ष 2016 की वे खबरें जो बनी पूरे विश्व में चर्चा का विषय ]
शिमला में पत्रकार सम्मेलन में वीरभद्र सिंह ने कहा कि यदि बेरोजगारों को घर बैठकर भत्ता मिलने लग जाए, तो ऐसे बेरोजगार युवा भत्ते पर ही निर्भर हो जाएंगे तथा कोई काम करना जरूरी नहीं समझेंगे। इसके अलावा हर बेरोजगार युवा को वृद्वों को दी जाने वाली पैंशन की तरह हर बेरोजगार को भत्ता देना संभवन नहीं हैं। यहां तक कि केंद्र सरकार के पास भी ऐसी कोई योजना नहीं है, जिसमें वह घर पर बिना काम कर रहे बेरोजगारों को किसी तरह का भत्ता दे। आज केंद्र सरकार भी कौशल विकास की बात करती है तथा हमारी सरकार चुनावी घोषणा पत्र के वायदे के अनुरूप कौशल विकास के लिए 1000 और 1500 रूपये भत्ता दे रही है। उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि सूबे की सरकार अब तक 1.52 लाख युवाओं को कौशल भत्ता दे चुकी है।
कैबिनेट मंत्री जीएस बाली द्वारा बेरोजगारी भत्ते पर सरकार को घेरने संबंधी सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि बाली की सोच और उनका रूख 24 घंटों में 24 बार बदलता है। चुनावी घोषणा में जिस भत्ते का उल्लेख है, उसका मकसद हल होना चाहिए और हम युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें पैरों पर खड़ा करने के लिए भत्ता दे रहे हैं क्योंकि स्किल डिवलपमेंट इज द की टू इम्पलायमेंट। वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश में बेरोजगारों की वास्तविक तादाद 3 लाख 30 हजार है। कांग्रेस सरकार ने बीते चार साल में सरकारी क्षेत्र में 45 हजार तथा निजी क्षेत्र में 60 हजार युवाओं को रोजगार दिया है। विपक्ष के नेता प्रेम कुमार धूमल के महज 1 हजार युवाओं को नौकरी देने का बयान सफेद झूठ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कौशल भत्ते के लिए सरकार ने कई रियायतें भी प्रदेश के युवाओं को दी हैं। इसे हासिल करने के लिए आयु सीमा को 18 से घटाकर 16 वर्ष तथा शैक्षणिक योग्यता 10वीं से कम कर 8वीं की गई। वीरभद्र ने कहा राज्य सरकार की इस योजना के तहत उन लोगों को एक हजार रुपये प्रतिमाह भत्ता दिया जाता है, जिनके परिवार की आय दो लाख रुपये सालाना से कम होती है। कोई हुनर सीखने के लिए यह रकम अधिकतम दो साल तक दी जाती है। इसके अलावा जो लोग शारीरिक रूप से स्थायी तौर पर 50 फीसद अक्षम हैं, वे प्रतिमाह 1500 रुपये पाने के लिए अधिकृत हैं। 1000 करोड़ रुपये के प्रावधान वाली इस कौशल विकास भत्ता योजना का मकसद औद्योगिक इकाइयों व संस्थानों को तकनीक से पूर्ण एवं हुनरमंद लोग उपलब्ध कराना और नियोजन की संभावना बढ़ाने के लिए युवाओं का हुनर स्तर बढ़ाना है।
राजभवन में लंबे समय से अटके खेल विधेयक पर पूछे गए सवाल के जवाब में वीरभद्र सिंह ने कहा कि विधेयक पर राज्यपाल पालती मारकर बैठे हुए हैं। यदि विधेयक में कोई खामी है, तो उनकी जिम्मेदारी बनती है कि इस पर स्पष्टीकरण मांगें, अन्यथा इसे सरकार को लौटा दें। एक अन्य सवाल पर वीरभद्र ने कहा कि कर्मचारियों की सेवानिवृति आयु 60 साल करने के मामले की कैबिनेट बैठक में कोई चर्चा नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सांसद अनुराग ठाकुर को बीसीसीआई अध्यक्ष से हटाने के फैसले का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि खेल संस्थाओं में कुछ लोग मठाधीश बन गए हैं तथा वे अपने करीबियों को ही संस्थाओं के पदों पर नियुक्त करवाते हैं लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए। वीरभद्र ने कहा कि आज हुई प्रदेश मंत्रिमण्डल की बैठक में बैंटनी कैंसल इस्टेट को राज्य सरकार ने अपने अधीन ले लिया है। उन्होंने केंद्र सरकार पर कई मामलों में प्रदेश के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया।
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