जयपुर। झोटवाडा के खातीपुरा रोड स्थित श्रीलक्ष्मी नृसिंह मंदिर देव मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण में शनिवार को आचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बाल लीला, महारास लीला ,कंसोद्धार ,गोपी उद्धव संवाद, रूकमणि मंगल,अष्ठ महाविवाह,जरासंघ संवाद सहित अन्य कथा प्रसंग पर प्रवचन किया,जिसे सुन श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। [@ तीखी मिर्च के बाद अब यहां के खेतों से मिलेगी पपीते की मिठास] [@ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
मिश्रा ने बाल लीलाओं पर प्रवचन करते हुए कहा कि कर्म ही मनुष्य के सुख, दुख, भय, क्षेम का कारण है। अपने कर्मानुसार मानव जन्म लेता है और मृृृत्यु को प्राप्त होता है। कर्म ही ईश्वर है। हम सभी नारायण के अंश हैं। हम कर्म को यश प्राप्ति के लिये नहीं करते। हम कर्म की उपासना करते हैं। जीवन में व्यक्ति जैसे कर्म करता है,उसी के अनुरूप उसे फल की प्राप्ति होती है।
कर्म ही हमारी पूजा है। ‘कर से कर्म करो विधि नाना। चित्त राखो जहां दया निधाना’। यह दोहा सुनने में जितना सरल है। व्यवहारिक जीवन में उसे उतारना उतना ही कठिन है। उन्होंने नटखट बाल गोपाल श्रीकृष्ण जी की मिट्टी खाने वाली लीला का वर्णन किया। गोवर्धन लीला के रहस्य को हमारे समक्ष बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया। कथा प्रसंग के तहत 56 भाग की झांकी एवं रूकमणि विवाह प्रसंग की झांकी सजाई सजाई गई। कथा प्रसंग में श्री गोवर्धन महाराज ,थाके सिर पर मुकुट विराज रह्यो....मैं तो गोवर्धन को जाउं रे...गोपाला हरि का प्यारा नाम है.....केशव माधव बोल, गोविंद बोल...जैसे भजनों से भक्ति रस बरसाते हुए श्रद्धालुओं को भक्ति रस की गंगा में डुबकी लगवाई। रविवार को अमृतसार, श्रीमद् भागवत व्यास पूजन के बाद सुदामा चरित्र की कथा होगी।
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