वाराणसी।दिल्ली की इमरजेन्सी जैसी हालात जो कि प्रदूषण के कारण बनी हुई है,राष्ट्रीय राजधानी के नागरिक अभिशप्त जीवन भी नहीं जी पा रहे हैं क्योंकि जीने के लिए सांस (आक्सीजन) का होना बहुत जरूरी है ।भारत की जातिवादी,क्षेत्रवादी,भाषा वादी,धर्म वादी आदि की राजनीति ने कुछ बहुत ही मूलभूत और आवश्यक मुद्दों से कोसों दूर कर दिया है,जिनके बिना सारे वाद धरे के धरे रह जाएंगे, जैसे जनसंख्या,पर्यावरण,खनन,जल संरक्षण,शिक्षा,स्वास्थ्य आदि,और आज नहीं तो कल सिर्फ और सिर्फ बात तो इन्हीं मुद्दों की करनी ही होगी,पर इसके लिए कहीं देर ना हो जाए। देश के शीर्ष 10 गंदे शहरों की सूची में धर्म और संस्कृति की राजधानी वाराणसी भी शामिल है। वायु प्रदूषण तो यहां की हवा में जहर की तरह फैली हुई है। इससे कितना नुकसान पहुंच रहा है, इसके आंकड़े तब सामने आए,जब यहां के सांसद एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय गुणवत्ता सूचकांक लागू किया। इसके सूचकांक बताते हैं कि बनारस की हवा खुली सांस लेने लायक नहीं रह गई है। बनारस के अर्दली बाजार स्थित सूचकांक बताता है कि पीएम 10 की मात्रा का औसत 344 माइक्रॉन प्रति घन सेंटीमीटर है। यह न्यूनतम 110 और अधिकतम 427 दर्ज किया गया,जबकि इसका स्तर 60 माइक्रॉन प्रति घन सेंटीमीटर से कम होना चाहिए,यह स्थिति काफी घातक मानी जा सकती है।
यह भी पढ़े :जब ISIS आतंकियों के साथ कमरे में फंस गईं सात लड़कियां...
यह भी पढ़े :ज़िला महिला अस्पताल से ग़ायब होते हैं
मरीज़, आप भी पढ़ें क्या है माजरा ?
जम्मू-कश्मीर सुरंग हादसा, मलबे से 10 मजदूरों के शव बरामद
युवा कांग्रेस ने भारत जोड़ो अभियान का आगाज किया
पेट्रोल के उत्पाद शुल्क में आठ रुपये और डीजल में छह रुपये प्रति लीटर की कटौती
Daily Horoscope