बठिंडा। बच्चेदानी के कैंसर की रोकथाम के लिये भारत में 9 से 13 वर्ष की बच्चियों को टीकाकरण करने के कार्यक्रम के तहत पंजाब में इस कार्यक्रम को शुरू किया गया है। इसके तहत बठिंडा व मानसा जिलों की 10 हजार लड़कियों को टीकीकरण किया जा रहा है।
इस सम्बंध में यहां आयोजित कार्यशाला में निदेशक स्वास्थय व परिवार कल्याण विभाग पंजाब डा. एच एस बाली ने कही। उन्होंने बताया कि पंजाब में सबसे पहले इस बीमारी का टीकाकरण शुरू किया गया है जो मुफ्त किया जाना है। इसके लिये एएनएमज, आशा वर्करों व नोडल टीचर को विशेष ट्रेनिंग दी गई है। प्राईवेट अस्पतालों में इस बीमारी कि एक बार टीकाकरण करवाने के 3 से 4 हजार रूपये तक खर्च आते हैं तथा तीन बार यह डोज लेनी होती है। जबकि सरकारी तौर पर यह टीकाकरण मुफ्त किया जात है व इसकी दो डोज दी जाती हैं।
इस कार्यशाला में डा. जी बी सिंह सहायक निदेशक , डा. राजेश कुमार प्रो. व प्रमुख स्कूल आफ पब्लिक हैल्थ पीजीआई , विश्व स्वास्थय संगठन दिल्ली से डा. बलविंदर सिंह, डा. सुषमा कपूर सीनियर सलाहकार गलोबल स्टैटरीज दिल्ली, डा. राजेश भस्कर स्टेट टीकाकरण अधिकारी, डा. नरिन्द्र कौर सिविल सर्जन मानसा, डा. आर एस रंधावा सिविल सर्जन बठिंडा सहित कई डाक्टर व अधिकारियों ने अपने विचार रखे। डा. बाली ने बताया कि विश्व के 67 देशों में बच्चेदानी के कैंसर से बचाव के लिये टीकाकरण का कार्यक्रम शुरू किया जा चुका है। इस बीमारी को ह्यूमन पैपीलोमा वायरस(एचवीपी) कहा जाता है।
डा. राजेश कुमार ने बताया कि सर्विस का कैंसर महिलायों में चौथे नंबर पर है जिसे एचवीपी कहा जाता है। पंजाब में इस बीमारी के 1600 मरीज प्रत्येक वर्ष सामने आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि बठिंडा जिले में इस बीमारी की दर प्रतिशत 17.5 व मानसा जिले में 17.3 है। उन्होंने यह भी बताया कि जिन महिलायों को यह बीमारी होती है उनमें से लगभग आधी महिलायों की मौत हो जाती है। उन्होंने बतायाकि चौथी स्टेज पर ही इस बीमारी का पता चलता है।
डा. राजेश कुमार ने बताया कि इस टीके की खुराक की मात्रा 0.5 एम एल है जो लड़कियों के बायें कंधे पर दी जाती है। 6 माह में देा बार यह खुराक लगाई जाती है। सिविल सर्जन रघुवीर सिंह रंधावा ने बताया कि जिन लड़कियों को । टीकाकरण किया जाना है उनका पूरा विवरण पहुंच चुका है व उनके अभिभावाकों को इस बात की पूरी जानकारी है। मानसा जिले में जिन लड़कियों को टीकाकरण किया जाना है उनकी संख्या 3792 व बठिंडा जिले में यह संख्या लगभग 6 हजार है।
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