नई दिल्ली। उत्तराखंड में फ्लोर टेस्ट में हरीश रावत के पास होने के जश्न के साथ ही कांग्रेस के खेमे में राष्ट्रपति को लेकर नाराजगी की बातें भी चल रही हैं। मार्च में केंद्र सरकार के पर्वतीय प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले की सिफारिश पर राष्ट्रपति के मुहर लगाने से कांग्रेस के कई नेता नाराज हैं। यह बात अलग है कि पार्टी में प्रणव मुखर्जी की पूर्व की प्रभावी भूमिका को देखते हुए कोई भी खुली जुबान से कुछ भी कहने से बच रहा है। इसलिए कांग्रेस की तरफ से लगातार भाजपा और केंद्र सरकार पर ही हमले किए जा रहे हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने राष्ट्रपति की इस मामले में भूमिका पर सवाल उठाए, लेकिन तिवारी राष्ट्रपति की आलोचना करने से बचते रहे। उन्होंने कहा, ‘मैं सिर्फ यही कहना चाहता हूं कि रविवार को उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने की जगह पर एक दिन का इंतजार किया जा सकता था।’ तिवारी समेत दूसरे कांग्रेस नेता खुले तौर पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की आलोचना करने से बच रहे हैं। दरअसल, कुछ समय पहले तक मुखर्जी ने पार्टी को तमाम मुश्किल हालात से बाहर निकालने के लिए संकटमोचक की भूमिका निभाई है।
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