लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) से गठबंधन की आस
लगाए बैठी कांग्रेस देश के इस सबसे बड़े सियासी राज्य में अपने लिए
‘संजीवनी’ की तलाश कर रही है। पिछले छह विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो
कांग्रेस सीटों का अर्धशतक भी नहीं लगा पाई। अब वर्ष 2017 में होने वाले
विधानसभा चुनाव में वह ‘27 साल, उप्र बेहाल’ नारे के साथ उप्र में सियासी
बनवास खत्म करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है। [@ दुनिया की शीर्ष 5 तोपों में शामिल हुई ‘धनुष’, दमखम में बोफोर्स से भी आगे]
वर्ष 1991
में हुए चुनाव में कांग्रेस 413 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इस चुनाव में वह
केवल 46 सीटें ही जीतने में कामयाब रही। इस दौरान कांग्रेस को 17-59
प्रतिशत वोट मिले। वर्ष 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की
हालत नहीं सुधरी। इस वर्ष कांग्रेस 421 सीटों पर चुनाव लड़ी, लेकिन महज 28
सीटों पर ही उसे कामयाबी हासिल हुई। इस बार उसका मत प्रतिशत भी घटकर 15-11
पर पहुंच गया।
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