सुल्तानपुर। यूं तो विधानसभा चुनाव में सूबे की तमाम विधान सभायें सरकार बनाने में अपना योगदान देती हैं लेकिन कोई विधानसभा क्षेत्र सूबे में सरकार की किस्मत तय करती हो यह सुनकर शायद आप ताज्जुब करें । जी हां ,यह सच है । सुल्तानपुर की एक विधानसभा ऐसी है जो आजादी के बाद से ऐसा ही करती आई है । यहां यह मिथक कायम है कि जिस दल का प्रत्याशी यहां से जीता सूबे में उसी दल की सरकार बनी । साल 2009 के बाद हुये नये परिसीमन के बाद इस विधानसभा का नाम बदला तो लोगों मे खासा कौतूहल रहा कि शायद 2012 में यह मिथक टूट जाय लेकिन ऐसा न हुआ । अब तो क्षेत्र के लोग इसे ईश्वर की विशेष कृपा मान रहे हैं । [@ यूपी चुनाव: राकेशधर का सियासी खेल जारी, मां के खिलाफ बेटा लड़ेगा चुनाव]
पांच विधानसभाओं वाले सुल्तानपुर जिले की यह है सदर विधानसभा । तकरीबन 28 किमी के दायरे में फैली यह विधानसभा आजादी के वक्त बरौंसा नाम से जानी जाती थी । पहले आम चुनाव से लेकर साल 1962 में हुये चुनावों तक यहां से जिस दल का उम्मीदवार जीता सूबे में उसी दल की सरकार बनी । साल 1967 में इसका नाम बदलकर जयसिंहपुर कर दिया गया लेकिन तब भी यह मिथक बरकरार रहा । साल 2012 में एक बार फिर इसका नाम बदलकर सदर कर दिया गया लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि यह मिथक आज तक बना हुआ है । आइये एक नजर डालते हैं यहां के चुनावी मिथक पर……
चुनाव वर्ष विजयी प्रत्याशी दल सूबे में सरकार
1952 कुंवर कृष्ण कांग्रेस कांग्रेस (मुख्यमंत्री जी बी पंत)
1957 अब्दुल समी कांग्रेस कांग्रेस (मुख्यमंत्री सम्पूर्णानंद)
1962 रमाकांत सिंह कांग्रेस कांग्रेस (मुख्यमंत्री सीबी गुप्ता)
1967 श्रीपति मिश्र कांग्रेस कांग्रेस (मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी फिर सीबी गुप्ता)
1969 शिवकुमार पांडे कांग्रेस कांग्रेस (मुख्यमंत्री सीबी गुप्ता)
1974 शिवकुमार पांडे कांग्रेस कांग्रेस (मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी फिर एचएन बहुगुणा)
1977 मकबूल हुसैन खां जनतापार्टी जनतापार्टी (मुख्यमंत्री रामनरेश यादव फिर बनारसीदास)
1980 देवेन्द्र पांडे कांग्रेस कांग्रेस(मुख्यमंत्री वीपी सिंह फिर श्रीपति मिश्र )
1985 देवेन्द्र पांडे कांग्रेस कांग्रेस(मुख्यमंत्री वीपी सिंह फिर एनडी तिवारी फिर वीरबहादुर सिंह)
1989 सूर्यभान सिंह जनतादल जनतादल(मुख्यमंत्री मुलायमसिंह यादव)
1991 अर्जुनसिंह भाजपा भाजपा(मुख्यमंत्री कल्याण सिंह)
1993 अब्दुल रईस सपा सपा(मुख्यमंत्री मुलायमसिंह यादव)
1996 रामरतन यादव बसपा बसपा (मुख्यमंत्री मायावती)
2002 ओपी सिंह बसपा बसपा (मुख्यमंत्री मायावती)
2007 ओपी सिंह बसपा बसपा (मुख्यमंत्री मायावती)
2012 अरुणवर्मा सपा सपा(मुख्यमंत्री अखिलेश यादव)
साल 2012 से चर्चा में आई इस लकी सीट पर सभी दलों ने निगाहें लगा रखी हैं। सपा खास तौर से इसे प्रतिष्ठा और अपनी किस्मत की सीट मान रही है शायद यही वजह है मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सूबे में विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत इसी सीट से आकर किया।
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