नरेन्द्र शर्मा
अमृतसर। राजनीति में निजी हितों के अतिरिक्त कुछ भी स्थायी नहीं होता है। इसके सैलाब में सब कुछ बह जाता है। बेशक फिर वो दोस्ती हो या कोई और रिश्ता ही क्यों न हो। जी हां ,यह सही भी है और इसका प्रमाण बादल व चौटाला परिवार है। एसवाईएल में पानी तो नहीं बहा पर इसके खुश्क राजनीतिक सैलाब में इन दोनों परिवारों की दोस्ती बह गई है। बादल द्धारा विधान सभा में नहर सम्बन्धी बिल पारित करने के बाद चौटाला ने दोनों परिवारों के मध्य पचास के दशक से चली आ रही दोस्ती पर विराम लगा दिया है। अभय ने इस बार बादल को देवी लाल की जयंती पर आयोजित रैली में भी आमन्त्रित नहीं किया। दोनों परिवारों में दोस्ती का इतिहास पचास वर्ष से भी कुछ ज्यादा पुराना है।
[@ दो सुसाइड नोट्स में लिखी मोहब्बत, धोखा और मौत की दास्तां]
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