जोधपुर। सरकारी निर्णय के बाद नोटबंदी से पुराने नोट प्रचलन से बाहर हो गए और नए नोटों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। जितने नोट आ रहे हैं वो, ऊंट के मुंह में जीरे के समान हैं। ऐसे में लोगों के साथ बैंकों के भी हाथ-पांव फूलने शुरू हो गए हैं। हालात ऐसे बन गए हैं कि रिजर्व बैंक से पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने के बाद बैंकों में खजाने खाली हो गए हैं। जोधपुर के लक्ष्मी नगर निवासी मनोज व्यास को बैंक से जब 20-20 रुपए की गड्डी में दो हजार रुपए मिले तो मनोज को प्रसन्नता हुई लेकिन, जब ऑफिस में आकर नोटों की गड्डी खोली तो व्यास को धक्का लगा। व्यास को बैंक ने जो 20-20 रुपए में दो हजार की रकम अदा की उसके सारे नोट फटे और पुराने थे। इतना ही नहीं कई नोटों से तो चांदी की पट्टी ही गायब थी और बाकी नोटों पर टेप लगी हुई थी। अब सवाल ये था कि मनोज इन रुपयों का क्या करता। क्योंकि बैंक की सील तो टूट चुकी थी। लिहाजा फटे-पुराने नोटों से ही मन को ढांढस देना पड़ा। अब सवाल ये है कि जब सरकार को निर्णय ही लेना था तो कम से कम रिजर्व बैंक में नए नोटों की छपाई तो करा देती, तो शायद न तो बैंक का खजाना खाली होता और न ही लोगों को परेशानी होती।
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