बता दें कि सात अक्टूबर को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिमों में
जारी तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह प्रथाओं का विरोध किया था और
लैंगिक समानता एवं धर्मनिरपेक्षता के आधार पर इन पर दोबारा गौर करने की
वकालत की थी। कानून एवं न्याय मंत्रालय ने अपने हलफनामे में लैंगिक समानता,
धर्मनिरपेक्षता, अंतरराष्ट्रीय नियमों, धार्मिक प्रथाओं और विभिन्न
इस्लामी देशों में मार्शल लॉ का उल्लेख करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत को तीन
तलाक और बहुविवाह के मुददे पर नए सिरे से निर्णय देना चाहिए।
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