इन संगठनों की आपत्ति बीमा और रक्षा जैसे क्षेत्रों में विदेशी निवेश के
नियमों के शिथिल करने को लेकर है। घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों को
बंद करने की योजना का भी श्रमिक संगठन विरोध कर रहे हैं। मौजूदा वित्त वर्ष
में सरकार ने निजीकरण और कुछ कंपनियों को बंद करके करीब 55,907 करोड रूपये
जुटाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. सरकार की ओर से संचालित 77 कंपनियों
को घाटा बढकर 26, 700 करोड रूपए तक पहुंच गया है।
इनके अलावा रेडियोलॉजिस्ट और सरकारी अस्पतालों की नसोंü ने भी
अनिश्चितकालीन हडताल की घोषणा कर दी लेकिन आपात सेवाएं बहाल रखने की बात
कही। दिल्ली में वेतन को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रही नर्सेज को पुलिस ने
जबरन बस में बिठाकर हटाया
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