कलानौर ,गुरदासपुर(नरेंद्र शर्मा ) मुगलों के जाहो-जलाल ,शानो -शौकत और रंगीनियों में डूबा रहने वाला क्षेत्र आज वीरान पड़ा है ! जिन महलों में कभी बच्चों की किलकारियां ,शाही बांदियों शोख रानियों के बेबाक ठहाके गूंजा करते थे । वह महल खंडहर बन चुके हैं ! उनमें से अब चमगादड़ों ,उल्लुओं और भीलों की डरावनी आवाज़ें आती हैं! मुगलिया सल्तनत के अजीमों -शान बादशाह अकबर महान की ताजपोशी स्थल पर बने" तख़्त -ए-अकबरी "के अवशेष उस समय की शानोशौकत का अहसास अवश्य करवाते हैं लेकिन अब उसे कोई सम्भालने वाला नहीं है ! जिसके कारण ४६० वर्ष बूढ़ा शरीर काफी जर्जर हो चुका है !यह बूढ़ा " तख्त -ए-अकबरी" आज भी अपने बादशाह का मुन्तजिर है ! जी हाँ अकबर महान की ताजपोशी गुरदासपुर से लगभग २० किलो मीटर दूर बसे कलानौर में हुई थी । उस समय जलालुद्ीन अकबर की आयु केवल १३ वर्ष ३ महीने की थी । इतिहास बताता है की उन दिनों कलानौर कस्बे का काफी महत्व हुआ करता था, क्योंकि यह दर्रा खैबर से आने वालों के लिये प्रवेश द्धार का काम करता था ! जिसके कारण यह कई ऐतिहासिक घटनाओं का प्रत्यक्षदर्शी भी रहा है ! हिन्दुस्तान में मुगलिया सल्तनत का जाहो-जलाल अपनी पराकाष्ठा पर था । देहली के तख़्त पर हुमायु का कब्ज़ा था, उनका पुत्र अकबर अपने लाव-लश्कर के साथ अपने विरोधी सिकंदर सुर के साथ निपटने के लिए निकला हुआ था ! उस समय बह कलानौर में पड़ाव डाले हुए हुआ था । हुमायूँ का सेनापति और अकबर का सरपरस्त बैरमखाँउसके साथ था । इन्ही दिनों २६ जनवरी १५५६ को देहली में दीन पनाह नामक लाइब्रेरी की सीढ़ियों से गिरकर हुमायूँ की मौत हो गयी !
बाबा बनकर दरिंदा लूटता रहा बेटियों की आबरू , महीनों बाद खुला राज
धरती से पाताल जाने का रास्ता! ये हैं दुनिया की सबसे गहरी गुफा
दुनिया का सबसे उलझा हुआ रेलवे ट्रैक, देखकर उड जाएंगे होश
दो साल से मुर्गी की तरह अंडे देता हैं यह लडका
Daily Horoscope