अर्नव मिश्रा नई दिल्ली। एकता कपूर के किसी फ़िक्शन शो की तरह समाजवादी पार्टी का विवाद भी हर बार एक नया ट्विस्ट लेकर आता रहा है।लेकिन अब लम्बे शो के बाद जनता एक निष्कर्ष चाह रही है। 2012 में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद भी ऐसा कहा जाता था कि सरकार के सारे बड़े-छोटे फ़ैसले पार्टी के वरिष्ठ नेता, मुलायम सिंह, राम गोपाल यादव, शिवपाल यादव और आज़म खान ही ले रहे हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर कठपुतली होने के आरोप लगातार लगाए जाते थे। मुलायम सिंह यादव ने कई बार अपने मुख्यमंत्री बेटे को सार्वजनिक तौर पर जनता के सामने फटकार लगाई और उन्हें दबाव के अंदर रखा। लेकिन दिक़्क़त तब आयी जब धीरे-धीरे लग रहा यह बारूद एकाएकफटा। [@ Exclusive:10 साल से बेडिय़ों में जकड़ी है झुंझुनूं की जीवणी]
दिसम्बर 2014 जब अखिलेश क़रीबी 2 युवा नेताओं, आनंद भदौरिया और सुनील सिंह को शिवपाल सिंह यादव के नेतृत्व में पार्टी के नियमों का उल्लंघन करने की वजह से, बर्खास्त कर दिया गया था। इस बात से नाराज़, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सैफई महोत्सव के उद्घाटन समारोह में भाग नहीं लिया। लेकिन मीडिया में चल रही अंदरूनी मतभेद की ख़बरों को देखते हुए 1 जनवरी को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सफ़ाई महोत्सव में शिरकत की और 2 जनवरी को बर्खास्त नेताओ को पार्टी में वापस ले लिया गया।
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