कोटा। प्रदेश के शीर्ष राजस्थानी साहित्यकारों का दो दिन से कोटा में जमावड़ा लगा हुआ है। यहां केंद्रीय साहित्य अकादमी की ओर से महाकवि सूर्यमल्ल मीसण-व्यक्तित्व-कृतित्व पर आयोजित संगोष्ठी के दूसरे दिन सोमवार का आकर्षण उदयपुर के राजस्थानी भाषा के साहित्यकार प्रो. राजेन्द्र बारहठ रहे। उन्होंने अपने शोधपत्रों के माध्यम से महाकवि की उस भूमिका को प्रकट किया, जो 1857 की क्रांति से पहले कोटा अंचल के ठिकानेदारों को अंग्रेज सत्ता के खिलाफ संघर्ष के लिए उठ खड़े होने के लिए महाकवि ने निभाई थी। महाकवि मिश्रण ने इस बाबत कई पत्र लिखे और ऐसे कई पत्रों का इस संगोष्ठी में डॉ. बारहठ ने वाचन किया।
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