हिसार। भारत में खाद्यान्न का सही भंडारण और रखरखाव नहीं होने के कारण हर वर्ष हजारों करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। खाद्यान नुकसान का यह यह आंकड़ा अब 93 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान और सैंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट हार्वेस्ट इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलॉजी द्वारा देशभर में एक सर्वे किया गया है। जिसकी रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। हरियाणा में किए गए सर्वे में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने भी सीआईपीएचईटी का सहयोग किया है। सर्वे में यह बात सामने आई है कि देश में खाद्यान्न के इस भारी नुकसान का मुख्य कारण अनाज, फल व सब्जियों की सप्लाई के वक्त चेन का मजबूत नहीं होना है। अनाज, फल व सब्जियों में कटाई के बाद उनका सही तरीके से भंडारण व रखरखाव नहीं होता है। रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि दूध और अंडे भी कोल्ड स्टोरेज के अभाव व रखरखाव के कारण खराब हो जाते हैं। दूध का पोस्ट हार्वेस्ट लॉस 0.92 प्रतिशत रहा है। वहीं अंडों में यह हानि 9.19 प्रतिशत तक पहुंच गई है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के पोस्ट हार्वेस्ट यूनिट के डीन डॉ. एमके गर्ग ने बताया कि पोस्ट हार्वेस्टिंग की हानि में मक्का 4.65 प्रतिशत, ज्वार 5.99 प्रतिशत, चना 3.08 प्रतिशत, कॉटन सीड 9.96 प्रतिशत, पपीता 6.70 प्रतिशत, अमरुद 15.88 प्रतिशत, कसावा 4.58 प्रतिशत, टमाटर 12.44 प्रतिशत, काली मिर्च 1.18 प्रतिशत और गन्ना 7.89 प्रतिशत खराब हो जाता है।
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