चंबा। वैसे तो चंबा एक ऐतिहासिक नगरी है जिसमे हज़ारों साल प्राचीन मंदिरो के साथ राजस्वी काल से चली आ रही बेश-कीमती धरोहर देखी जा सकती है पर सरकार और प्रशासन की बेरुखी के चलते अब यह सदियों पुरानी धरोहरे धीरे-धीरे समाप्त होने के कगार पर पहुंच रही है। इसका जीता-जागता उदाहरण है शहर के बीचों-बीच घने पोश क्षेत्र में एक हज़ार साल से भी प्राचीन राधाकृष्ण का मन्दिर। भले ही यह मंदिर अपनी प्राचीनता को दर्शाता हो पर आज एक हज़ार साल से भी प्राचीन राधाकृष्ण मन्दिर की हालत इतनी खस्ता हो चुकी है कि उसकी सुध लेने वाला कोई भी नहीं। [ अजब गजबः 200 ग्राम का गेहूं का दाना] [ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
इस ऐतिहासिक मंदिर के आगे हर समय गंदगी से भरे नगर परिषद के वाहन खडे रहते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि कोर्ट काॅम्पलेक्स से सटा और नगर परिषद कार्यालय चंबा से इसी दूरी केवल 10 मीटर है लेकिन इसके बाद भी आस्था का यह घर सरकार और स्थानीय निवासियों की अनदेखी का शिकार हो रहा है। इतना ही नहीं, आसपास का कूड़ा करकट रेहड़ियों में लाकर इसी मन्दिर के सामने ही लोड किया जाता है। मंदिर के आगे रेत और बजरी के ढेर अक्सर लगे रहते हैं जो देख जा सकते हैं जो इस मंदिर की बदहाली की कहानी कह देते हैं। अगर यही हाल रहा तो इतिहास को संजोए इस नगरी का वर्चव देखने को तो नही मिल सकेगा सिर्फ किताबो के पन्ने ही मात्र ग्वाह होंगे।
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