भीलवाड़ा। एशिया का मैनचेस्टर कहलाने वाली वस्त्रनगरी भीलवाड़ा में नोट बन्दी के बाद से ही आर्थिक मंदी जैसे हालात हो गए हैं। जिले की अधिकतर कपड़ा फैक्ट्रियां इसके कारण बन्द होने की कगार पर आ गई हैं। भीलवाड़ा में कुल 400 वीविंग फैक्ट्रियां हैं। यहां हर महीने करीब आठ करोड़ मीटर कपड़ा बनता है। नोट बंदी के बाद व्यापारियों ने कपड़ा खरीदना बंद कर दिया है। कपड़े का उठाव कम हुआ तो मजबूरी में वीवर्स को उत्पादन कम करना पड़ा। रोज बनने वाले करीब 25 लाख मीटर कपड़े में 50 फीसदी की गिरावट हो गई है। जो व्यापारी आठ नवंबर से पहले कपड़ा ले चुके हैं, वे पुराने नोटों में भुगतान करना चाहते हैं। भीलवाड़ा से देशभर में जाने वाले कपड़े का उठाव 40 से 50 फीसदी कम हो गया। ऐसे में कई फैक्ट्रियां आठ-आठ घंटे ही चल रही हैं और उनमें भी श्रमिकों को वेतन देने का संकट उत्पन्न हो रहा है। मेवाड़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अनिल मानसिंहका ने कहा कि वर्तमान में फैक्ट्रियों को मिले कई ऑर्डर रद्द हो रहे हैं। जिसके कारण 25 से 30 फीसदी प्रोडेक्शन कम हो गया है। आगामी दिनों में यह और नीचे जाएगा। इसके कारण इन फैक्ट्रियों में काम कर रहे मजदूरों पर भी असर पड़ रहा हैं। मानसिंहका ने कहा कि मोदी सरकार ने यह अहम फैसला लिया है। इससे सरकार को अधिक से अधिक टैक्स मिलेगा और कैश लैस व्यापार को बढ़ावा मिलेगा। वहीं, इंटक मजदूर संघ के सचिव छीतरमल सेन ने कहा कि नोट बंदी से कई फैक्ट्रियां बन्द हो गई हैं। इससे सैंकड़ों मजदूर सडक़ पर आ गए हैं। मजदूर अपना कार्य छोडक़र बैंकों की लाइन में लग हुए हैं। इसके कारण कपड़े की बिक्री कम हुई है और पूरा वस्त्र बाजार आधे व्यापार पर आ गया है। वहीं, अधिवक्ता आजाद शर्मा ने कहा कि इससे व्यापार पर अभी असर तो पड़ रहा है लेकिन, आने वाले दिनों में व्यापार बढ़ेगा। नोटबंदी के कारण आयकर कम भरने वालों को अब पूरा टैक्स देना पड़ेगा।
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