जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि भाजपा शासन के दौरान प्रदेश में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति तथा कमजोर वर्गों पर हो रहे अत्याचारों के कारण इन वर्गों में असुरक्षा की भावना व्याप्त हो रही है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने एक याचिका को निस्तारित करते हुए जो टिप्पणी की है, वह राज्य सरकार के लिए शर्मनाक है। सरकार की विफलता के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने कानून का सख्ती से पालन कराने, केन्द्रीय आयोग को अपना दायित्व निभाने तथा राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण को एससी-एसटी वर्ग में जागरुकता व निशुल्क विधिक सहायता के लिए भी कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। [@ छेड़छाड़ का विरोध करने पर महिला को सरेआम पीटा, वीडियो वायरल]
गहलोत ने कहा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति उत्पीडऩ के मामले में राजस्थान देश में शीर्ष स्थान पर है, जो हम सबके लिए चिंता का विषय है। डेल्टा प्रकरण में राज्य सरकार अब तक सीबीआई जांच तक नहीं करवा पाई। दलितों एवं आदिवासियों पर होने वाले अत्याचारों पर काबू पाने में भी भाजपा सरकार विफल रही है। प्रदेश की कानून व्यवस्था की स्थिति निरंतर बदतर होती जा रही है। गृह मंत्री स्वयं अपने को असहाय महसूस कर रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बारां के निकट एक ग्रामीण राजकीय विद्यालय के शारीरिक शिक्षक द्वारा 15 वर्षीय दलित छात्रा के साथ कई बार दुष्कर्म करने की घटना सामने आई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को पीडि़त परिवार की रक्षा एवं सभी प्रकार की कानूनी सहायता मुहैया करानी चाहिए, ताकि उत्पीडि़त बालिका को न्याय मिल सके।
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