जयपुर। वन एवं पर्यावरण मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने कहा है कि इको ट्यूरिज्म के विकास के बारे में दक्षिण अफ्रीकी कंपनी द्वारा नए विचार, सुझाव एवं प्रस्ताव देने का यह मतलब नहीं है कि इन्हें लागू किया जाएगा। राज्य सरकार जब भी कोई निर्णय लेगी, उससे पहले सभी प्रस्तावों का देश एवं प्रदेश के वैधानिक एवं विधिक प्रावधानों के अनुसार परीक्षण किया जाएगा। [# यहां पेड़ों की रक्षा को 363 लोगों ने दिया था बलिदान] [# अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
वन एवं पर्यावरण मंत्री ने बयान जारी कर कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में इको ट्यूरिज्म के विकास की संभावनाएं तलाश रही है। इस कड़ी में दक्षिण अफ्रीकी कंपनी लेंडलोजी को पीपीपी मोड पर इको ट्यूरिज्म के विकास के बारे में सुझाव देने के लिए आमंत्रित किया गया था, क्योंकि दक्षिण अफ्रीका इको ट्यूरिज्म के क्षेत्र में अग्रणी देश है। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त हाल ही सिंगापुर से भी पर्यटन में भागीदारी के लिए बातचीत की गई है। प्रदेश के हित में आवश्यकता होने पर अन्य देशों से भी बातचीत की जा सकती है।
वन एवं पर्यावरण मंत्री ने कहा कि सरकार प्रदेश की वन सम्पदा एवं वन्यजीवों के संरक्षण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और एक अफ्रीकी कम्पनी को प्रदेश में कुछ वन क्षेत्रों को लीज पर दिए जाने सम्बन्धी बातें निराधार एवं भ्रामक हैं।
वन एवं पर्यावरण मंत्री ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में लागू वैधानिक प्रावधान भारत से अलग है। हमारा देश वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में अग्रणी है और राज्य सरकार इको ट्यूरिज्म के लिए पीपीपी मोड पर जो भी प्रयास किए जाएंगे, वे पारदर्शी रूप से और देश के विधिक एवं वैधानिक प्रावधानों के तहत ही किए जाएंगे।
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