सुल्तानपुर। सुलतानपुर के एक मदरसे ने एक अनोखी मिसाल कायम की है। राष्ट्रीय पर्वों का जश्न अमूमन परिसर के अंदर ही मना लेने वाले इस मदरसे ने पिछले तीन वर्षों से इसका आयोजन खुले में करना शुरू किया है ।
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गंगा जमुनी तहजीब को और मजबूत करने के मकसद से आयोजित होने वाले इस समारोह में विभिन्न धर्मों के लोग शामिल होते हैं। बाकायदा झंडा फहराकर मुल्क का तराना गाया जाता है और मुल्क की एकता,अखंडता को मजबूत करने के साथ ही मुल्क की तरक्की के लिये दुआयें की जाती हैं।
नगर के बाधमंडी चौराहे के पास स्थित इस मदरसे में यूं तो गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस का आयोजन स्थापना काल से ही होता आया है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से मदरसों पर उठ रहे सवालों के चलते इसका आयोजन खुले में करना तय किया गया । पिछले तीन वर्षों से इसी तरह यह आयोजन होता आया है । राष्ट्रीय झंडा फहराकर राष्ट्रीय तराना गाया जाता है, फिर संविधान पर चर्चा होती है । इस मौके पर अलीगढ़ से आये लाॅ विभाग के हेड शकील समदानी ने उपस्थित लोगों को मुल्क के संविधान में नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों से रूबरू कराया।
आयोजक और मदरसा संचालक मौलाना उस्मान कासमी ने बताया कि इस मुल्क को आजाद कराने में सभी का योगदान रहा है। उनके पुरखों ने इसमें अपनी कुर्बानियां दी हैं। ऐसे में जश्ने आजादी हो या गणतंत्र दिवस, इनका जश्न मनाना उनकी जिम्मेदारी है । साथ ही ऐसे आयोजन करने से लोगों में भाई चारा और मुहब्बत भी पैदा होती है ।
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