अमरीष मनीष शुक्ला,इलाहाबाद। संगमनगरी इलाहाबाद में दिव्यांगों की अनूठी शादियां कराई गई । चार मंडप में 16 दिव्यांग जोड़ियों ने सात फेरे लिये और 7 जन्मों के लिये एक दूजे के हो गये। लेकिन इसमे सबसे अनूठा यह था कि बारात दुल्हा लेकर नहीं आया, बल्कि दुल्हन बारात लेकर पहुंची । शुभ विवाह मुहूर्त में शहर की सड़कें पहली बार इस तरह की अनोखी शादी की गवाह बनीं। बैंडबाजे के साथ बरात दुल्हनें लेकर दूल्हे को ब्याहने पहुंचीं। घरवाले नाचते गाते चले तो दुल्हन का इंतजार कर रहे दूल्हों का आंगन भी खुशियों से झूमता रहा । आज सुबह दिव्यांग जोड़ों की सभी वैवाहिक रस्मों की अदायगी के बाद विदाई हुई।समाज को आइना दिखाती इस पहल ने न सिर्फ दिव्यांगों के जीवन में खुशियां भरने का विकल्प दिखाया। बल्कि नयी सोच का एक संकल्प भी दे दिया।पूर्व राज्यपाल भी बने साक्षीस्वराज विकलांग सेवा समिति की पहल पर इस अनूठी पहल के साक्षी पूर्व राज्यपाल अंशुमान सिंह भी बने । स्वामी श्रीप्रकाश छोटे महाराज ने वैदिक रीति रिवाज से शादी संपन्न कराई। अंशुमान सिंह ने कहा कि आज हौसलों से उड़ान भरने की नई इबारत लिखी गई। दिव्यांगों को जीवनसाथी मिलने और मुख्य धारा से जोड़ने की यह पहल स्वागत योग्य है। [ इनसे मिलिये... इन्होंने ट्रेन में चुराया होगा आपका माल] [ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
बतौर मुख्य अतिथि पूर्व राज्यपाल अंशुमान सिंह ने कहा, दिव्यांगजनों के बीच आकर स्वयं सम्मानित अनुभव कर रहा हूं। मैं दिव्यांग जोड़ों को नई जिंदगी जीने के लिए शुभकामनाएं देता हूं। यह पहल सुखद और सरकार, समाज को दिशा दिखाने वाली है। अनुकरणीय प्रयास से नया कीर्तिमान रचा गया है।
दूल्हा-दुल्हन की उतारी आरती
सागर एकेडमी के सामने से बरात निकली और बरातियों के साथ नाचते गाते घंटे भर में पूरी टीम मंडप में पहुंची। यह शादी भी आम शादियों के जैसे थी, पर इसका रंग कुछ ज्यादा गाढा था। बारातियों का स्वागत हुआ और दुल्हन की आरती उतारी गई । गाजे बाजे बाराती जमकर नाचे, खुशियां व्यक्त की गई । बेटियों को मिले रोजगार के उपहार
वर वधुओं को सभी घरेलू सामान भी उपहार में दिए गये। जबकि बेटियों को विदा करते हुये उन्हें रोजगार का तोहफा दिया गया। समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए ट्राइसाइकिल पर चालित दुकान दी गई। स्वरोजगार के लिए सभी को सिलाई मशीन भी दी गई।जिससे दूल्हों के चेहरे पर खुशियां नाचती दिखी।
10 साल पहले की थी शुरुआत
दोनों हाथों से दिव्यांग श्रीनारायण यादव ने बताया कि उन्होंने 10 साल पहले दिव्यांगो के सामूहिक विवाह की शुरुआत की। इसके जरिए समाज से उपेक्षित दिव्यांगो घर बसने लगा तो सामूहिक विवाह का कारवां चल पड़ा। इससे उन्हे बहुत खुशी मिलती है।
इन्होंने किया सहयोगपूर्व राज्यपाल अंशुमान सिंह समेत लोक सेवक मंडल के अध्यक्ष प्यारे लाल यादव, उपाध्यक्ष राजकुमार चोपड़ा, रेलवे के सीनियर डीसीएम बृजेश मिश्र, अधिवक्ता आरके राजू, बीके मित्तल, एमएनएनआइटी के प्रोफेसर आरपी तिवारी, रवि शंकर मिश्रा, अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता सुभाष राठी, मधु, असिस्टेन्ट कमिश्नर वाणिज्य कर जय प्रकाश शुक्ला, लेखाधिकारी अजीत विक्रम सिंह, नगर निगम के विधि सलाहकार शिवलखन यादव, अजीत सिंह, मनोज पाण्डेय, अभिषेक चौहान एडवोकेट, कुलदीप यादव, यमुनोत्री गुप्ता, मधु गुप्ता, रीता अजमानी, कुसुम मिश्रा, सीमा, विनोद अरोड़ा, राशि पोद्दार, अनुराधा, रिनी येसु, मधु, रश्मि पोद्दार, शिव सेवक सिंह, कमलेश दादा, आनन्द घिड़ियाल, चन्द्रभूषण, उमेशचन्द्र अच्चू, डा. यशवन्त, आशीष एडवोकेट, बृजनन्दन, विजय शकर शर्मा आदि ने आयोजन में सहयोग किये।
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