कांगड़ा। (विजयेन्द्र शर्मा)। उत्तरी भारत में
अपनी तरह का पहला
संगीतमय फव्वारा कांगड़ा जिला के ज्वालामुखी में आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा
है। मंदिर न्यास ज्वालामुखी के लाखों रुपये की लागत से स्थापित इस फव्वारे के पिछले
कई सालों से बंद रहने से बाहर से आने वाले यात्री व स्थानीय लोग मंदिर न्यास व
प्रशासन के उदासीन रवैये से बेहद खफा हैं।
गौरतलब है कि लाखों की लागत से यह संगीतमयी फव्वारा
मंदिर न्यास ने यात्री निवास के साथ बाहर से आने वाले यात्रियों व स्थानीय लोगों
को आकर्षित करने के लिए बनाया था। करीब 18 साल पहले इस फव्वारे पर लगभग 20 लाख रुपये खर्च किए गए थे।
कई सालों तक यह फव्वारा यात्रियों व स्थानीय लोगों का स्वस्थ मनोरंजन करता रहा, दूर- दूर तक
इसकी चर्चा होने लगी, क्योंकि अपनी किस्म का यह एकमात्र संगीतमय फव्वारा
हिमाचल प्रदेश में है, जो संगीत की धुनों पर अपने रंग बिखेरता है तथा पानी
की लहरें संगीत के साथ मिलकर रंग- बिरंगी रोशनियों के साथ वो छटा बिखेरती
हैं कि मन बरबस ही सपनों में खो जाता है।
राज्यपाल शासन में वर्ष 1993 में राज्यपाल के
मुख्य सलाहकार रहे पीपी वास्तव ने संगीतमय फव्वारे को मैसूर लैंपस के इंजीनियरों
से तैयार करवाया था, साथ ही दीप सत्संग भवन के साथ इसकी महत्ता को और भी
चार चांद लग गए थे। शाम ढलते ही लोग संगीतमयी फव्वारे को देखने व संगीत की धुनों
को सुनने के लिए निकल जाते थे और राहत पाते थे, परंतु इसके खराब
हो जाने और इसकी मरम्मत को नजरअंदाज कर देने के मंदिर न्यास व प्रशासन के रवैये से
बाहर से आने वाले यात्री व स्थानीय लोग नाराज हो रहे हैं।
मंदिर
प्रशासन का कहना है कि इस संदर्भ में हमने कई कारीगरों को बुलाकर इसे चैक भी
करवाया, परंतु ठीक नहीं हो पाया है। फिर भी प्रयास किया जाएगा कि यह जल्दी ठीक हो जाए और
लोगों के मनोरंजन का साथी बन सके।
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