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जयपुर। सांगानेर के पॉलीटेक्निक महिला कॉलेज में हुए गंभीर यौन शोषण मामले ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। यह कॉलेज विशेष रूप से लड़कियों के लिए संचालित होता है, जहां केवल महिला छात्रों के लिए डिप्लोमा पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं, जिनका तकनीकी रूप से पुरुषों से कोई लेना-देना नहीं है। ऐसे में पुरुष प्राचार्य की नियुक्ति और फिर इस प्रकार का घिनौना कृत्य होना चौंकाने वाला है।
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यह घटना न सिर्फ शिक्षा विभाग की लापरवाही दर्शाती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि महिला सुरक्षा को लेकर जो दावे किए जाते हैं, वे जमीनी स्तर पर खोखले साबित हो रहे हैं। महिला छात्रों के लिए बनाए गए संस्थानों में महिला शिक्षकों और महिला प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति ही उचित होगी, ताकि इस प्रकार की शर्मनाक घटनाओं पर रोक लग सके।
सवाल ये उठता है कि क्या महिला कॉलेजों में पुरुष प्राचार्य की नियुक्ति अनिवार्य है? यदि नहीं, तो ऐसी नीति पर तत्काल पुनर्विचार कर महिला कॉलेजों में सिर्फ महिला शिक्षकों और महिला प्रशासनिक कर्मचारियों की नियुक्ति की जानी चाहिए। इस तरह की घटनाओं में लिप्त शिक्षकों को बर्खास्त करना ही एकमात्र समाधान है, ताकि छात्राएं सुरक्षित माहौल में शिक्षा ग्रहण कर सकें।
- खासखबर नेटवर्क
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