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अकाली दल में नफे-नुकसान का खेल

The game gains in SAD - Punjab-Chandigarh News in Hindi

चंडीगढ़, (बलवंत तक्षक) । अकाली दल में नफे-नुकसान का खेल चल रहा है। आने वाले विधानसभा चुनाव में वोट बैंक की मजबूती के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल धड़ाधड़ बोर्डों-निगमों में चेयरमैन, सीनियर वाइस चेयरमैन और वाइस चेयरमैन नियुक्त किए जा रहे हैं। यह सिलसिला पिछले कई दिनों से जारी है और इसके चुनाव आचार संहिता लागू होने तक जारी रहने की उम्मीद है। दूसरी तरफ कोई अकाली दल छोड़ कर बादल को झटका दे रहा है तो किसी के चुनाव नहीं लड़ पाने से पार्टी को नुकसान का अंदेशा है। राजनीतिक नुकसान को नफे में बदलने में बादल कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
जलालाबाद क्षेत्र से आप के उम्मीदवार सांसद भगवंत मान की चुनौती मिलने पर उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने अभी यह तय भी नहीं किया था कि वे अपने पुराने क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे या नहीं, अकाली दल के सांसद शेरसिंह घुबाया के बेटे दविंदर सिंह व भाई मुंसा घुबाया के कांग्रेस का दामन थाम लेने से उनकी परेशानी और बढ़ गई है। सांसद घुबाया राय सिख हैं। जलालाबाद और इसके साथ लगते तीन अन्य विधानसभा क्षेत्रों के राय सिख मतदाताओं पर उनकी मजबूत पकड़ हैं। जलालाबाद क्षेत्र से जूनियर बादल की जीत में घुबाया परिवार की अहम भूमिका रही है। बदली हुई परिस्थितियों में अकाली दल को नुकसान की आशंका है।
मुख्यमंत्री बादल ने कुछ दिन पहले घुबाया के घर जा कर उन्हें मनाने की कोशिश की थी, लेकिन उनके बेटे व भाई ने अकाली दल से किनारा कर ही लिया। घुबाया के बेटे दविंदर सिंह को फाजिल्का सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ाने के आसार हैं। बादल जानते हैं कि घुबाया परिवार के अकाली दल से टूट कर कांग्रेस में जाने से पार्टी को चुनावी नुकसान हो सकता है, ऐसे में उन्होंने बिना देर किए पंजाब राय सिख कल्याण बोर्ड का गठन कर संपूर्ण सिंह को इसकी चेयरमैनी सौंप दी। इसका मतलब राय सिख मतदाताओं को राजी करना है ताकि उनका झुकाव कांग्रेस की तरफ न हो पाये।
इसी तरह वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए ही बादल ने त्रिलोक सिंह को पंजाब एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन का चेयरमैन नियुक्त किया है। हाल में बादल ने विभिन्न बोर्डों-निगमों में पांच चेयरमैन, दो सीनियर वाइस चेयरमैन, दो वाइस चेयरमैन और सात सदस्यों को एडजस्ट किया है। कर्मचारियों और पेंशनरों को खुश करने के लिए सात फीसदी महंगाई भत्ते का भी ऐलान किया गया है। महंगाई भत्ते की किश्त अगले साल जनवरी के वेतन के साथ मिलेगी और इसके थोड़े दिन बाद ही पंजाब के लोगों को नई सरकार बनाने के लिए वोट डालने हैं।
चुनावी फायदे के लिए धड़ाधड़ फैसले लेने के बावजूद बादल की परेशानियां कम नहीं हो रही हैं। जहां घुबाया परिवार ने कांग्रेस में शामिल हो कर अकाली दल को झटका दिया है, वहीं पूर्व मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह के चुनाव नहीं लड़ पाने से भी बादल की परेशानी बढ़ी है। लंगाह को डेरा बाबा नानक सीट से मैदान में उतारा गया था। पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने लंगाह को निचली अदालत से मिली सजा पर स्टे लगाने से इनकार कर दिया है। लंगाह को आय से अधिक संपत्ति के मामले में मोहाली की अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई थी।
इसी तरह भुलत्थ विधानसभा सीट से अकाली दल की उम्मीदवार पूर्व मंत्री जागीर कौर के चुनाव लड़ने पर भी तलवार लटकी हुई है। अपनी बेटी की मौत के मामले में उन्हें पटियाला की सीबीआई अदालत ने पांच साल की सजा सुनाई थी। सजा मिलने के बाद उन्होंने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले में अगली सुनवाई 10 जनवरी को होनी है। ऐसे में जागीर कौर के चुनाव लड़ने पर भी अभी स्थिति साफ नहीं है। बादल को रोज सामने आ रही नई-नई परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। देखना है कि इन परेशानियों से वे कैसे निजात पाते हैं?

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Web Title-The game gains in SAD
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