लखनऊ। राजनीतिक लिहाज से अहम राज्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस नए अवतार में दिखी है। 29 जुलाई को लखनऊ के रमाबाई पार्क में बूथ स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन में राहुल गांधी जिस भूमिका में दिखे वह कांग्रेस के लिए शुभ संकेत है। कांग्रेस क्या बदल रही है? क्या वह बदलाव चाहती है? उसके बदलाव का आखिर जमीनी आधार क्या है? वह किस थ्योरी पर उप्र जैसे राज्य में सपा, बसपा और भाजपा को सीधी चुनौती देना चाहती है? जो पार्टी सांगठनिक स्तर पर कमजोर और खुद में उपेक्षित हो, कार्यकतार्ओं के टूटे हुए मनोबल पर वह कैसे आगे बढ़ेगी। अब सवाल यह है कि ‘पीके फार्मूला’ कितना कामयाब होगा। यह आशंकाएं सिर्फ मेरी ही नहीं, आपकी और राज्य के आम आदमी की हो सकती हैं जो कांग्रेस को बदलते रूप में देख रहे हैं। कांग्रेस 27 साल से राज्य के परिदृश्य से गायब है। वर्ष 2014 के लोकसभा में बुरी पराजय के बाद राज्यों में ढहता उसका जनाधार तमाम सवाल खड़ा करता है। लेकिन कांग्रेस और उसके रणनीतिकारों को उप्र एक उर्वर जमीन के रूप में दिख रही है।
राज्य में खुद को खड़ा करने के लिए 2017 का विधानसभा चुनाव उसके लिए बड़ा मौका है। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने जिस तरह लखनऊ में रैली स्थल पर रैम्पवाक करते हुए 50 कार्यकर्ताओं के सवालों और आशंकाओं का जबाव दिया, पार्टी में यह नई कार्य संस्कृति विकसित करने का साफ संकेत दिखाता है। सवाल भले ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं की तरफ से पूछे गए हों, लेकिन इसमें प्रदेश के आम लोगों की आशंका और उम्मीद झलकती दिखी। अब यह लगने लगा है कि पार्टी और संगठन में गणेश परिक्रमा कर अपनी कुर्सी बचाने वाले नेताओं के लिए बुरे दिन की शुरुआत होने वाली है। हालांकि इससे कांग्रेस दो धु्रवों में विभाजित होती दिखती है। एक राहुल गांधी की युवा बिग्रेड और दूसरी उनकी मां यानी स्वामी भक्तों की फौजवाली बूढ़ी कांग्रेस।
लोकसभा चुनाव 2024 : देश की 102 सीटों पर छिटपुट घटनाओं को छोड़ शांतिपूर्ण रहा मतदान
लोकसभा चुनाव 2024: देश की 102 सीटों पर कुल 59.71% मतदान दर्ज
Election 2024 : सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल और सबसे कम बिहार में मतदान
Daily Horoscope