शिमला। राजभवन राज्य सरकार के उस उत्तर से संतुष्ठ नहीं लगता, जो कंटरी तथा टाउन प्लानिंग (टीसीपी) विभाग ने विधानसभा द्वारा पारित संशोधित टीसीपी बिल पारित करके राज्यपाल को मंजूरी के लिए भेजा था। इस बिल में राज्य में गैर कानूनी ढंग से बनाए गए भवनों को केवल एक समय के लिए छूट देकर नियमित करने को लेकर प्रावधान हैं। राज्य सरकार ने राजभवन द्वारा मांगे गए कुछ प्रावधानों पर स्पष्टीकरण मांगा था, जो विभाग ने विधि विभाग से सलाह करके इन मांगे गए स्पष्टीकरण के बारे में उत्तर दिया था। [@ बाबा का चमत्कार या लोगों का अंधविश्वास!] [@ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
अधिकृत सूत्रों का कहना है कि कुछ मुद्दों के बारे में विभाग ने कोई उत्तर नहीं दिया और खामोश्श रहा। इनमें ये भी कहा जाता है कि जब गैर कानूनी ढंग से बनाए जा रहे भवनों के बारे में विभाग क्यूं अनदेखी करता रहा और अधिकारियों ने कोई कारवाई क्यूं नहीं की? कहा जाता है कि इन गैरकानूनी ढंग से इतनी बड़ी संख्या में बनाए गए भवनों के लिए केवल कंटरी टाउन प्लानिंग महकमे को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। इसके लिए राजस्व तथा वन विभाग आदि भी जिम्मेदार हैं, क्योेंकि काफी संख्या में भवन यहां बनाए गए हैं।
ऐसे भवन वन विभाग की भूमि पर भी हैं, यद्यपि वहां कोई पेड़ नहीं थे। अब इन हालातों में राजभवन आगे की कारवाई क्या करेगा, कहना मुश्किल है। फिलहाल गैरकानूनी ढंग से बनाए गए भवनों के मालिकों का नियमितीकरण के लिए इंतजार और लंबा होगा तथा उन पर तलवार लटकती रहेगी। उधर, टीसीपी महकमे के सूत्रों का कहना है कि सरकार द्वारा बार-बार रिटेंश्शन पॉलिसी लाकर इन भवनों को नियमित करने की कोशिशें भी इसके लिए जिम्मेदार हैं।
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