शिमला। हिमाचल प्रदेश राजभवन में लंबे समय से लटके विवादित टीसीपी संशोधन विधेयक को राज्यपाल ने आज मंजूरी दे दी। राजभवन सूत्रों से पता चला है कि राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने पिछले पांच महीनों से लंबित इस विधेयक को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही अवैध भवनों के नियमित होने का रास्ता भी साफ हो गया है। विधेयक को मंजूर करवाने के लिए सतापक्ष और विपक्ष दोनों राजभवन पर दवाब बना रहे थे। दरअसल प्रदेश हाईकोर्ट की तलख टिप्पणियों के बाद राज्यपाल ने इस विधेयक पर अपनी मंजूरी की मोहर लगाने के बजाय इसे अपने पास लंबित रखा था। विधानसभा ने पिछले वर्ष 28 अगस्त को अवैध निर्माणों को नियमित करने के लिए हिमाचल प्रदेश टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (एचपीटीसी, संशोधन) विधेयक, 2016 को पारित कर दिया था जिसके बाद इसे प्रवर समिति को भेजा गया था। [@ ऐसे करें पूजा, घर में कभी नहीं आएगी धन की कमी] [@ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
गौरतलब है कि टीसीपी विधेयक में वीरभद्र सरकार ने हजारों अवैध निर्माणों को नियमित करने का मार्ग प्रशस्त किया है। इस विधेयक पर सूबे के हजारों भवन मालिकों की नजरें टिकी हैं। दरअसल राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं तथा दोनों प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस आम जनता के बीच इस विधेयक के जरिए अपना वोट बैंक मजबूत करने की मंसा पाले हुए है। टीसीपी विधेयक में अवैध भवनों को जहां हैं जैसे हैं की तर्ज पर नियमित करने का प्रावधान है। भवनों को जहां हैं, जैसे हैं आधार पर `सैट बैक` के तौर पर आवश्यक खुली जगह न छोड़ने के आधार पर ही कंपाउंड किया जाएगा। विधेयक में कंपाउडिंग शुल्क को लगभग आधा करने की बात की गई है, जिन लोगों ने मकानों के नक्शे पास करवाए हैं, उन्हें विचलन शुल्क नगर निगम क्षेत्र में 800 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से फ्लैट रेट पर जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 400 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से वसूल किया जाएगा। पूर्ण रूप से अवैध निर्माण के लिये यह दरें शहरी क्षेत्रों में 1200 रुपए जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 600 रुपए प्रति वर्ग मीटर होंगी।
इस संशोधित विधेयक में ग्रीन व हेरिटेज बेल्ट को शामिल नहीं किया गया, क्योंकि यह मामला एनजीटी में विचाराधीन है। इस विधेयक के पारित होने से पूरे प्रदेश में हुए अवैध निर्माण को फायदा होगा। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो संशोधन विधेयक से करीब 30,000 अवैध निर्माण नियमित हो जाएंगे, जिसमें आवासीय और वाणिज्यिक दोनों तरह की इमारतें हैं। ऐसी नीति को इससे पहले भी सरकारों ने समय-समय पर करीब छ: बार लागू किया है। इससे वैसे निर्माण भी नियमित हो जाएंगे जो इतने कमजोर हैं कि मध्यम तीव्रता के भूकंप के दौरान ताश के पत्तों की तरह भरभरा कर ढह सकते हैं।
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