बलवंत तक्षक
चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा की सीमा पर पुलिस के अलावा सुरक्षा
बलों की तैनाती के बीच इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) सतलुज-यमुना जोड़
नहर(एसवाईएल)की खुदाई के अपने फैसले से पीछे नहीं हटेगा। नहर खुदाई के लिए
राज्य भर का दौरा कर तैयारियां पूरी कर चुके विपक्ष के नेता अभय सिंह
चौटाला ने साफ कहा है कि भले ही सेना की तैनाती क्यों न कर दी जाए, नहर की
खुदाई का कार्य हर हाल में होगा। एसवाईएल हरियाणा की जीवन रेखा है और इस
मुद्दे पर अब चुप नहीं बैठा जा सकता। बड़ी तादाद में इनेलो कार्यकर्ताओं के
23 फरवरी को अंबाला पहुंचने के आसार हैं।दूसरी ओर पंजाब सरकार ने एसवाईएल मामले में सुप्रीम कोर्ट में जवाब
दाखिल कर नये ट्रिब्यूनल के गठन की मांग की है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट
22 फरवरी को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के अगले दिन इनेलो,
पंजाब सरकार के विरोध के बावजूद नहर खुदाई के अपने फैसले पर अमल शुरु कर
देगा। इसके अलावा इनेलो ने प्रधानमंत्री से मिल कर उन्हें नहर निर्माण के
संबंध में हरियाणा की 6,800 ग्राम पंचायतों की तरफ से पारित प्रस्ताव
सौंपने का भी निर्णय किया है।
अंबाला-राजपुरा हाईवे पर गड्ढ़े खोदने और दीवार खड़ी करने को
इनेलो के वरिष्ठ नेता अभय चौटाला ने पंजाब की साजिश करार देते हुए कहा है
कि केंद्र की मोदी सरकार और हरियाणा की मनोहर सरकार को राज्य के किसानों के
हितों से कोई सरोकार नहीं है। यही वजह है कि तीन महीने बीत जाने के बावजूद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को एसवाईएल
मुद्दे पर मिलने का समय नहीं दिया है। सुप्रीम कोर्ट के एसवाईएल मामले में
हरियाणा के हक में फैसला देने के बाद खट्टर की अध्यक्षता में चंडीगढ़ में
हुई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री से मिलने का फैसला किया गया था।
बैठक के बाद प्रधानमंत्री को इस सिलसिले में चिट्ठी भी लिखी
गई, लेकिन मुख्यमंत्री को अभी तक बुलावे का इंतजार है। खट्टर सर्व दलीय
शिष्टमंडल के साथ कब तक प्रधानमंत्री से मिल पाएंगे, कुछ तय नहीं है। यह
अलग बात है कि पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल इस मुद्दे पर
प्रधानमंत्री से मुलाकात कर उनके सामने अपने राज्य का पक्ष रख चुके हैं।
पंजाब में पानी की मौजूदा स्थिति का ब्योरा देते हुए बादल सरकार ने केंद्र
से साफ कह दिया है कि हरियाणा को उसके हिस्से का पानी नहीं दिया जा सकता। राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अभय चौटाला का कहना है कि
हम भीख नहीं मांग रहे हैं, नहर के पानी पर हमारा हक है। केंद्र सरकार का
फर्ज बनता है कि नहर के निर्माण को पूरा करने के आदेश दिए जाएं, लेकिन इस
दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। चौटाला ने कहा कि पंजाब के
राजनीतिक दलों ने भले ही नहर की खुदाई में अडंगा डालने का ऐलान किया है,
फिर भी इनेलो नहर खुदाई के अपने फैसले को वापस नहीं लेगा। इस मुद्दे पर
केंद्र सरकार की चुप्पी हैरानी पैदा करने वाली है, लेकिन इनेलो हरियाणा के
हितों की लगातार की जा रही अनदेखी को और बर्दाश्त नहीं करेगा।
बहरहाल, नहर निर्माण के लिए केंद्र सरकार कब तक केंद्रीय
एजेंसी को आदेश देगी? सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के बाद क्या आदेश
आएंगे? हरियाणा को उसके हिस्से का पानी कब तक मिलेगा? किसानों को अपने
खेतों की प्यास बुााने के लिए और कितना इंतजार करना पड़ेगा? पचास साल से
ज्यादा समय से यह सवाल आज भी ज्यों के त्यों खड़े हैं। पंजाब व हरियाणा के
बीच विवाद की जड़ मानी जा रही एसवाईएल की समस्या कब तक हल हो पाएगी, कोई
नहीं जानता। [# अनाथ और गरीब बच्चों के मन की मुराद पूरी कर रहा है साई सौभाग्य मंदिर] [# अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
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