जयपुर। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ ने कहा है कि प्रदेश में मातृ मृत्युदर एवं शिशु मृत्युदर को कम करने के लिए हरसंभव प्रयास किये जाएंगे। सुरक्षित मातृत्व प्रत्येक महिला का अधिकार है एवं इसे सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सुरक्षित मातृत्व को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जायेगी। शिशु मृत्युदर एवं मातृ मृत्युदर से विभिन्न स्वास्थ्य मापदंड़ों में प्रदेश को राष्ट्ीय औसत से बेहतर लाने का संकल्प लेकर कार्य करने की आवश्यकता है। सराफ शनिवार को होटल होली-डे-इन में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा सुरक्षित मातृत्व के संबंध में केन्द्र द्वारा दिये गये नवीनतम दिशा-निर्देशों के संबंध में आयोजित राज्यस्तरीय कार्यशाला में बोल रहे थे। युनिसेफ, युएनएफपीए एवं जपाइगो की सक्रिय सहभागिता से आयोजित यह तीन दिवसीय कार्यशाला का 22 दिसम्बर को प्रारंभ हुयी थी। समापन दिन के पहले सत्र को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री बंशीधर खंडेला ने सम्बोधित किया।
गर्भवती महिलाओं में प्रसव जटिलता का चिन्हिकरणए रेफरलए टेऊंकिंग एवं फोलोअप कर संस्थागत प्रसव करवाया जा रहा है। वर्तमान संस्थागत प्रसव 84 प्रतिशत को मातृृ स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में अच्छा संकेत बताते हुए इसे शत् प्रतिशत करने की आवश्यकता प्रतिपादित की। नवीनतम तथ्यों के अनुसार शिशु मृत्युदर में आई 5 अंकों की कमी को रेखांकित करते हुए मातृ मृत्युदर में कमी आने का विश्वास व्यक्त किया।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री बंशीधर खंडेला ने सुरक्षित मातृत्व के लिए प्रदेशभर से संबंधित अधिकारियों को बुलाकर नवीनतम दिशा-निर्देशों तथा तकनीक की जानकारी देने की सराहना की। आम जन को बेहतर स्वास्थ्य सेवायें प्रदान करने में चिकित्सको के साथ ही नर्सिंग कर्मियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन नवीन जैन ने बताया कि सुरक्षित मातृत्व सेवाओं को ओर अधिक बेहतर बनाने के उद्देेश्य से केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशानुसार नवीनतम पांच गतिविधियों को शामिल किया जा रहा है। इन गतिविधियों के अंतर्गत अब गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान कृमि नाशक गोली देकर खून की कमी का रोकथाम सुनिश्चित किया जायेगा। निदेशक आरसीएच डॉ. वी.के.माथुर ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि इस कार्यशाला में सभी संयुक्त निदेशक, मेडिकल कॉलेज के स्त्री रोग विशेषज्ञ, जिला चिकित्सालयों के प्रमुख चिकित्साअधिकारी व स्त्री रोग विशेषज्ञ, जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबन्धक एवं नर्सिंग ट्रेनिंग सेन्टर के प्राचार्य सहित 200 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया है।
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