नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी
सहित कई प्रभावशाली सरकारी पदाधिकारियों को रिश्वत देने के आरोपों की
एसआईटी से जांच कराने की मांग को लेकर एक नई याचिका को फिलहाल स्वीकार करने
से शुक्रवार को इंकार कर दिया।
जस्टिस जगदीश सिंह केहर तथा न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ता
गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) कॉमन काज की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शांति
भूषण से कहा कि इस याचिका को देखकर प्रथम दृष्ट्या लगता है कि यह जांच का
आदेश देने के लिए कह रहा है और आपके द्वारा पेश दस्तावेजों पर भरोसा नहीं
किया जा सकता।
पीठ ने कहा,यह कुछ नहीं है। यह बस कटाक्ष है। साथ ही शांति भूषण को बेहतर
दस्तावेजों के साथ आने को कहकर न्यायालय ने मामले की सुनवाई 14 दिसंबर तक
के लिए मुल्तवी कर दी।
जैसे ही पीठ ने शांति भूषण से कहा कि या तो वह बेहतर दस्तावेजों के साथ
लौंटे या याचिका वापस ले लें, वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने कहा कि वह
निर्णायक दस्तावेजों के साथ लौटेंगे।
दो कॉरपोरेट कार्यालयों से जब्त कंप्यूटर इंट्रीज की जांच की मांग को लेकर
शांति भूषण व जेठमलानी की याचिका पर पीठ की टिप्पणी के बाद महान्यायवादी
मुकुल रोहतगी ने आरोपों को अपमानजनक व हवा हवाई करार दिया।
कॉरपोरेट कार्यालयों से जब्त सामग्रियों की जांच का निर्देश देने की भूषण
की मांग पर न्यायमूर्ति केहर ने कहा,प्रथम दृष्ट्या मामला बनता है। आपने
कुछ बडे लोगों का नाम लिया है, हम केवल इस बिनाह पर कार्रवाई शुरू नहीं कर
सकते। न्यायालय ने कहा, इस तरह के दस्तावेजों के आधार पर जांच का आदेश नहीं
दिया जा सकता। हमें कुछ पुख्ता दस्तावेज दीजिए। यह केवल कंप्यूटर इंट्री
है।
दो कॉरपोरेट कंपनियों द्वारा अपने कारोबार के हित में कथित तौर पर कई
राजनीतिज्ञों व सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोपों की कॉमन काज ने
एसआईटी से जांच करवाने की मांग की थी।
(आईएएनएस)
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