चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलों को
सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल
मुकुल रोहतगी ने कहा कि जस्टिस काटजू की याचिका खारिज कर दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जस्टिस काटजू के विचार पर संसद में चर्चा हुई है, कोई
दंडात्मक कार्रवाई नहीं की है।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अगर इस तरह के मामले
की सुनवाई अदालत करेगी तो यह गलत प्रथा होगी। उन्होंने कहा कि संसद के
भीतर हुई कार्यवाही को न्यायिक समीक्षा में दायरे में नहीं लाया जाना
चाहिए।
गौरतलब है कि जस्टिस काटजू ने अपने ब्लॉग में महात्मा गांधी को ब्रिटिश और
सुभाष चंद्र बोस को जापान का एजेंट बताया था। जस्टिस काटजू का कहना था कि
बिना उनका पक्ष जाने बिना संसद ने उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित कर
दिया, जो उचित नहीं है।
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