राजसमन्द। जिले में स्वच्छ भारत मिशन की गतिविधियां अब जोर पकडऩे लगी हैं। खासकर ग्रामीण अंचलों में विभिन्न स्तरों पर चलायी जा रही लोक जागरुकता की हलचलें जन-मन में स्वच्छता को अपनाने के प्रति आत्मीय भावों के जागरण में जुटी हुई हैं। जिले के ग्रामीणों में इस अभियान को लेकर अब बेहतर माहौल बनने लगा है और जिला प्रशासन, स्वच्छ भारत मिशन तथा विभिन्न संस्थाओं और संगठनों की प्रभावी भूमिका के साथ ही युवाओं में विशेष उत्साह का संचार होने लगा है। [@ खास खबर IMPACT: दो आंगनबाड़ी केन्द्रों के स्टाफ को थमाया नोटिस] [@ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
सब चाहते हैं जल्द ओडीएफ बने अपना गांव
गांवों में अब घर-घर शौचालयों के निर्माण का दौर बना हुआ है तथा जिन घरों में अभी तक शौचालय नहीं बन पाए हैं उनमें शौचालय बनाने पर जोर दिया जा रहा है। ग्रामीण खुद आगे आ रहे हैं और सब तरफ प्रयास यह हो रहा है कि अपना गांव इस मामले में अव्वल रहे और गांव तथा ग्राम पंचायत जल्द से जल्द खुले में शौच से मुक्त घोषित हों ताकि राजसमन्द जिले को तयशुदा समय सीमा से पहले ही खुले में शौच से मुक्त जिला बनाने में देरी न हो।
अपने गांव को ओडीएफ घोषित कराने में युवाओं का जोश-खरोश विभिन्न क्षेत्रों में उत्साह और उमंग का संचार करने लगा है। इन्हीं में एक उत्साही और ऊर्जावान युवा हैं दिलीप बागोरा। राजसमन्द से करीब 7 किमी दूर सुन्दरचा गांव के रहने वाले दिलीप का स्वप्न है कि उनका अपना गांव सुन्दरचा हर मामले में सुन्दरता पाए। इसके लिए यह जरूरी है कि गांव में स्वच्छता की गतिविधियां मूर्त रूप पाएं और हर ग्रामवासी अपने घर में शौचालय बनाकर गंाव को ओडीएफ होने का गौरव दिलाएं। टेलीफोन एजेंसी में काम करने वाले दिलीप बारहवीं पास हैं और उनका लक्ष्य है कि सुन्दरचा जितना जल्दी हो सके, ओडीएफ होने का गर्व प्राप्त कर ले। अपने गांव के लिए यह प्रेरणा प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन से प्राप्त हुई। इसके बाद से ही वे पूरे मन से जुट गए हैं स्वच्छ भारत मिशन की गतिविधियों में।
घर-घर शौचालय बनाने करते हैं समझाईश
इसकी शुरूआत उन्होंने दो साल पहले अपने घर में शौचालय बनवाकर की। शौचालय बनाने के लिए प्रेरणा जगाने में उनका कोई सानी नहीं। ग्रामीणों के बीच रहते हुए घरों में शौचालय निर्माण के लिए कुछ न कुछ लोगों को रोजाना उत्प्रेरित करते रहने का उनका क्रम बना हुआ है। लोग उनकी बात को तवज्जो भी देते हैं। दिलीप बताते हैं कि करीब 1200 घरों की बस्ती वाले सुन्दरचा गाँव में अब तक 700 घरों में शौचालय बन चुके हैं तथा शेष घरों में शौचालय निर्माण के लिए वे समझाईश के जरिये निरन्तर प्रयासों में जुटे हुए हैं। वे कहते हैं कि रोजाना कम से कम तीन शौचालय उनकी प्रेरणा व समझाईश से बन जाएं, यह उनका न्यूनतम लक्ष्य है।
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