श्रीगंगानगर। सांसद निहालचंद ने शुक्रवार को संसद में शून्यकाल के दौरान पानी का मुद्दा उठाया। उन्होंने केन्द्र सरकार का ध्यान भाखड़ा व्यास प्रबंधन बोर्ड की तरफ दिलाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अंतरराज्यीय जल समझौता 29 जनवरी, 1955 को हुआ और राजस्थान प्रदेश को अपने हिस्से का पानी 8 एमएएफ मिलना तय हुआ। हरियाणा व पंजाब पृथक राज्य बनने के बाद पंजाब से राजस्थान को अपने हिस्से का पूरा पानी नहीं मिला। 13 जनवरी, 1959 को राजस्थान व पंजाब के बीच सतलुज नदी के पानी को लेकर समझौता हुआ, फिर भी राजस्थान को हिस्से का पूरा पानी नहीं मिला। 31 दिसंबर, 1981 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अध्यक्षता में राजस्थान व पंजाब के मुख्यमंत्रियों के बीच समझौता हुआ, जिसमें सतलुज नदी का पानी राजस्थान को देने का समझौता हुआ।
निहालचंद ने कहा कि आज भी पंजाब राजस्थान को पूरा पानी नहीं दे रहा है। अंतरराज्यीय जल समझौते के अनुसार राजस्थान को 8.6 एमएएफ पानी आवंटित हुआ था, परंतु पंजाब आज भी 8 एमएएफ पूरा पानी भी राजस्थान को नहीं दे रहा है। किसी भी किसान का जीवन पानी के बिना यापन होना असंभव है। 24 जून, 1985 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने तीनों राजस्थान, पंजाब व हरियाणा राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में राजस्थान को पूरा पानी 8.6 एमएएफ देने का आश्वासन दिया था, परंतु आज तक पूरा पानी नहीं दिया गया।
सांसद ने कहा कि केन्द्र सरकार को इस मामले में मध्यस्थता कर पंजाब से पूरा पानी राजस्थान प्रदेश को दिलवाना चाहिए और आज तक भाखड़ा व्यास प्रबंधन बोर्ड में पंजाब व हरियाणा के सदस्य ही नामित हुए हैं, इसमें राजस्थान से एक बार भी सदस्य नामित नहीं हुआ, जबकि समझौते के अनुसार ऐसा होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि राजस्थान का सदस्य बीबीएमबी में नामित करने के लिए केन्द्र सरकार से भी आग्रह किया जाएगा।
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