रायपुर/महासमुंद। छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में छह बेटों ने मां का सपना पूरा करने के लिए संपत्ति की परवाह न करते हुए बेघर आदिवासियों के लिए कॉलोनी बसा दी। महासमुंद के चोपड़ा परिवार में मां छोटीबाई चोपड़ा ने कहा था, ‘‘मेरी मृत्यु के बाद मेरे जेवर को आपस में मत बांटना, इसका उपयोग उन लोगों के हित में करना, जिनकी कोई नहीं सुन रहा हो।’’ [@ अजब- गजबः बंद आंखों से केवल सूंघकर
देख लेते हैं ये बच्चे]
महासमुंद के चोपड़ा बंधुओं ने सोलह साल तक ऐसे परिवारों की तलाश की जो वाकई बेघर हैं। उनकी तलाश अब पूरी होती दिख रही है। उन्होंने परसाहीदादर के जंगल से बेदखल किए गए कमार परिवारों के लिए घर बनवाने का निर्णय लिया है। चोपड़ा बंधुओं ने मां के आधे जेवर 25 लाख में बेचे और उस पैसे से गौरखेड़ा के जंगल में छह एकड़ जमीन खरीदी।
महासमुंद विधायक डॉ. विमल चोपड़ा ने बताया कि फरवरी, 2014 में जब उन्हें पता चला कि वन विभाग द्वारा आदिवासियों को उनकी जमीन से बेदखल कर दिया गया, तो उन्होंने उन गरीब आदिवासियों के हित के लिए काम करना शुरू किया।
विधायक ने बताया कि शासन-प्रशासन से भी गरीब आदिवासियों को किसी तरह की सहायता नहीं मिल पा रही थी। उनका सामान वन विभाग ने जब्त कर लिया था। इतना ही नहीं बेघर आदिवासी परिवारों के पुरुष महासमुंद जेल में, महिलाएं रायपुर में तथा बच्चों में लड़कियां राजनांदगांव में और लडक़े रायपुर के माना स्थित बाल संप्रेक्षण गृह में भेज दिए गए थे। इस दौरान लगातार दो साल तक आदिवासियों ने अपनी हक की लड़ाई जारी रखी। ये लोग महासमुंद जिलाधीश कार्यालय के सामने खुले गगन तले धरने पर बैठे रहे।
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