नरेंद्र शर्मा [@ ताजमहल में धक-धक गर्ल को देख लोगों ने बजाईं सीटियां, SEE PIC]
अमृतसर। भाषा के आधार पर पुनर्गठन के बाद का पंजाब हो या पहले का। पंजाब की राजनीति पर हमेशा मालवा क्षेत्र का ही दबदबा रहा है। इस बार भी मुख्यमंत्री मालवा से ही होने की सम्भावना है। क्योंकि तीनों ही मुख्य पार्टियों से मुख्यमंत्री की कुर्सी के दावेदारों का सम्बन्ध मालवा से ही है। अब तक हुए कुल पन्द्रह मुख्यमंत्रियों में से बारह का सम्बन्ध मालवा, एक का माझा और दो का दोआबा के साथ रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है की 117 सदस्यों वाली पंजाब विधानसभा में 69 क्षेत्र मालवा, 23 दोआबा और पच्चीस माझा के अंतर्गत आते हैं। आजादी के बाद डॉ गोपी चंद भार्गव पंजाब के पहले कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने थे। भाषा के आधार पर हुए राज्य के पुनर्गठन के बाद 1967 के चुनाव के बाद पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी।
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