शिमला। छोटे व सीमांत किसानों को एकमुश्त राहत प्रदान करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार उन्हें सरकारी भूमि पर कब्ज़ा के मालिकाना हक दिलाने के लिए एक योजना बना रही है। यह जानकारी राजस्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने यहां राज्य में अतिक्रमण के मामलों के आकलन एवं समीक्षा के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार छोटे व सीमांत किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। किसानों व बागवानों के आजीविका के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार ने एक योजना का मसौदा तैयार किया है। हालांकि, राज्य सरकार कानून के अनुरूप सरकारी भूमि पर व्यापक स्तर पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए कृत संकल्प है। [@ अजब-गजबः नमक के दाने पर पेंटिंग का रिकार्ड] [@ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
मंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतम पांच बीघा तक की भूमि पर मालिकाना अधिकार प्रदान करने के लिए सरकार ने योजना तैयार की है, जिसे इस प्रकार तैयार किया गया है कि किसी व्यक्ति की अपनी भूमि और उसे प्रदान की गई कुल भूमि 10 बीघा से अधिक न हो, बशर्तें उसके कब्ज़े में शामिल बाकी भूमि को खाली कर दिया गया हो। उन्होंने कहा कि मालिकाना अधिकार न्यूनतम दरों पर प्रदान करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके लिए किसी भी व्यक्ति को संबंधित उपमण्डलाधिकारी (नागरिक) अथवा जहां बंदोबस्त की प्रक्रिया जारी है, में सहायक बंदोबस्त अधिकारी के समक्ष लिखित रूप में आवेदन करना होगा। कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि गांव के आम उपयोग जैसे सड़कों, वनों, मेला मैदान आदि के लिए उपयोग में लाई जा रही भूमि को प्रदत्त नहीं किया जाएगा। ऐसे मामलों में जहां कब्ज़ाधारी अंतिम निर्धारित तिथि से दो वर्षों के अंदर बेदखल हो चुका है, उस भूमि को भी प्रदान करने के योग्य माना जाएगा लेकिन इसके लिए यह शर्त रखी गई है कि ऐसे मामलों को अगस्त, 2015 से पहले दर्ज किया गया हो। उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा सरकारी भूमि पर किए गए अतिक्रमण के बदले प्रदेश सरकार निजी भूमि के विनिमय को भी स्वीकृति देगी। इस योजना को मंजूरी के लिए केबिनेट के समक्ष रखा जाएगा।
राजस्व मंत्री ने कहा कि उन मामलों में जिनमें वन संरक्षण अधिनियम, 1980 तथा अनुसूचित जाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम-2006 के अंतर्गत स्वीकृति अनिवार्य है, को भारत सरकार से उठाया जाएगा ताकि मानवीय आधार पर ऐसे मामलों में छूट मिल सके। अतिरिक्त मुख्य सचिव, राजस्व तरूण श्रीधर ने इस योजना के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी तथा कार्यवाही का संचालन भी किया। बैठक में प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष जगत सिंह नेगी, मुख्य संसदीय सचिव नंदलाल एवं रोहित ठाकुर, विधायक मोहन लाल ब्राक्टा, पूर्व मंत्री सत्य प्रकाश ठाकुर, प्रधान सचिव, वन तरूण कपूर, प्रधान सचिव, विधि डॉ. बलदेव सिंह ठाकुर, प्रधान मुख्य अरण्यपाल एसएस नेगी और प्रदेश सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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