चूरू। प्रदेश के छात्रों को कम शुल्क में विधि का ज्ञान देने वाले सरकारी विधि कॉलेजों के हालात खराब हैं। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) की सख्ती और राज्य सरकार की ढिलाई के चलते राज्य के 15 राजकीय लॉ कॉलेज में से तीन सरकारी लॉ कॉलेज पिछले पांच साल से बन्द हो चुके हैं। वहीं शेष कॉलेज बन्द होने के कगार पर पहुंच चुके हैं। मान्यता नहीं मिलने के कारण लॉ प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाले स्टूडेन्टस की उम्मीदें भी अब धूमिल हो गई हैं। राज्य के 15 लॉ कॉलेज की यह दयनीय हालात इसलिए है क्योंकि, अधिकतर सरकारी लॉ कॉलेजों में बड़ी संख्या में व्याख्याताओं के पद खाली पड़े हैं। जिसके चलते चूरू सहित राज्य के 15 राजकीय लॉ कॉलेज में बीसीआई से मान्यता नहीं मिलने के कारण इन कॉलेजों की मान्यता पर तलवार लटकी हुई है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सत्र 2016-17 के लिए राज्य की किसी भी सरकारी लॉ कॉलेज अभी तक मान्यता नहीं दी है। केवल चूरू जिले की अगर बात की जाए तो यहां करोड़ों रुपए व्यय कर लॉ कॉलेज का नया भवन बनकर तैयार है लेकिन, लेक्चरर और प्राचार्य के रिक्त पदों के चलते यहां भी मान्यता समाप्ति की तलवार लटकी है। चूरू के लॉ कॉलेज में 2005 को स्वीकृति मिलने के बाद से ही प्राचार्य का पद खाली पड़ा है। 11 साल से कॉलेज में प्राचार्य का पद तक नहीं भरा जा सका। प्राचार्य पद की नियुक्ति के लिए कैडेर बनाए जाना प्रस्तावित था लेकिन, उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। स्टाफ की कमी भी इन कॉलेजों में मान्यता नहीं मिलने की बड़ी वजह है। मान्यता दिए जाने के मानकों में स्टाफ पूरा होना चाहिए। चूरू में भी राजकीय लॉ कॉलेज में लेक्चरर व स्टाफ के पद खाली हैं। इससे मान्यता मिलने में परेशानी हो रही है।
सिर्फ दो व्याख्याताओं के भरोसे
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