बलवंत तक्षक
चंडीगढ़। भाजपा छोड़ चुके क्रिकेटर-कलाकार नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस से अमृतसर से लोकसभा उपचुनाव लडऩे की जगह विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। बादल सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रहीं सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर के भाजपा से इस्तीफे के बाद कयास लगाये जा रहे थे कि उन्हें अमृतसर से कांग्रेस उम्मीदवार बनाया जा सकता है, लेकिन पार्टी की तरफ से जारी 61 उम्मीदवारों की पहली सूची में उनका नाम नहीं है।
कांग्रेस की पहली सूची सामने आने के बाद ही चर्चाएं चल निकलीं है कि खुद नवजोत सिंह सिद्धू अपनी पत्नी की सीट से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। कांग्रेस उम्मीदवारों की दूसरी सूची के भी जल्द ही जारी होने के आसार हैं और ऐसा माना जा रहा है कि सिद्धू को विधानसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है। अगर सिद्धू चुनाव लड़ते हैं और कांग्रेस सत्ता में आती है तो उन्हें अहम जिम्मेदारी सौंपी जाने की संभावना जताई जा रही है।
भाजपा से कई दफा सांसद रहे सिद्धू के समर्थकों को ऐसी उम्मीद थी कि देर-सवेर पार्टी उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दे देगी। सिद्धू पार्टी को इतनी मजबूती देने की कोशिश करेंगे कि भाजपा भविष्य में अकाली दल से अलग हो कर अपने बलबूते विधानसभा चुनाव लड़ सके। ऐसा होना तो दूर अकाली दल की इच्छा के मुताबिक भाजपा ने लोकसभा चुनावों के दौरान सिद्धू को अमृतसर क्षेत्र से टिकट देने के बजाये अरुण जेटली को मैदान में उतार दिया। सिद्धू चुनाव प्रचार से दूर रहे और मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल तमाम प्रयासों के बावजूद जेटली को कांग्रेस उम्मीदवार कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुकाबले जीत नहीं दिलवा सके।
नाराज सिद्धू को भाजपा आलाकमान ने राज्यसभा में भेज कर राजी करने की कोशिश की, लेकिन इससे सिद्धू दंपत्ति को मनाया नहीं जा सका। मुख्य संसदीय सचिव रहते नवजोत कौर सिद्धू लगातार यही दोहराती रहीं कि अगर उनकी पार्टी ने अकाली दल के साथ मिल कर विधानसभा का चुनाव लड़ा तो वे भाजपा के टिकट पर मैदान में नहीं उतरेंगी। राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने के थोड़े अर्से बाद जब सिद्धू ने इस्तीफा दिया तो यही कहा था कि वे पंजाब के लोगों की सेवा करना चाहते हैं, जबकि पार्टी उन्हें पंजाब से दूर रखना चाहती है।
भाजपा छोडऩे के बाद जब सिद्धू कई दिनों तक आप और कांग्रेस के बीच झूलते रहे तो उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू ने अकाली दल के विधायक परगट सिंह के साथ कांग्रेस का हाथ थाम लिया। इससे यही संदेश गया कि सिद्धू की पत्नी विधानसभा चुनाव लड़ेंगी और वे खुद अमृतसर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर उपचुनाव लड़ सकते हैं। हाल ही कैप्टन के इस्तीफा दे देने से अमृतसर सीट खाली हुई है। सिद्धू ने ऐसी चर्चाओं का कोई जवाब देने की जरूरत नहीं समझीं और चुप्पी साधे रहे।
अब ऐसे संकेत मिलने लगे हैं कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के दौरान सिद्धू ने लोकसभा चुनाव लडऩे की जगह शायद पंजाब के लोगों की सेवा करने की ही इच्छा जाहिर की हो। विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस उम्मीदवारों की दूसरी सूची में अगर सिद्धू के नाम का ऐलान होता है तो इससे पार्टी को फायदा मिलने की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। यह भी चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं कि कांग्रेस के सत्ता में आने पर सिद्धू को उप मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया जा सकता है। कैप्टन अगर मुख्यमंत्री बनते हैं तो सिद्धू पंजाब में पार्टी आलाकमान के लिए संतुलन साधने के काम आ सकते हैं।
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