अमृतसर। इंग्लैंड की करेंसी में जानवरों की चर्बी लगाने की बात सामने आने पर पूर्व हेल्थ मिनिस्टर लक्ष्मीकांत चावला ने केंद्र सरकार से मांग की है कि ऐसी करेंसी को बंद किया जाए। [ आज भी याद दिलाता है अकबरी शान को तख्ते अकबरी] [ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
उन्होंने कहा है कि इंग्लैंड में पांच व दस रुपए के नोटों पर गाय व सूअर की चर्बी मिलाने की घटना ने हिंदुस्तानियों को झकझोर दिया है। सन 1987 में अंग्रेजों ने सूअर व गाय की चर्बी लगाई थी। उस समय अंग्रेजों की सेना के भारतीय सैनिकों ने इसका विरोध किया। उस दौरान एक क्रांति हुई, जो अंग्रेजी साम्राज्य के पतन का कारण बनी। 160 वर्ष बाद वही गोरों की हिंदू विरोधी मानसिकता सामने आ गई है। पांच व दस के पौंड पर पशु चर्बी लगाकर उन्होंने घटिया मानसिकता का परिचय दिया है। इसके खिलाफ ब्रिटेन की धरती पर हिंदू नागरिकों का संघर्ष जारी है।
उन्होंने बताया कि इनोविया की कंपनी जिसने इंग्लैंड के लिए इस नई करेंसी को बनाया है, उसका मानना है कि उसे जानवर की चर्बी एक सप्लायर के माध्यम से मिली है। जानवर की चर्बी से उसे टैलो नामक पदार्थ मिलता है, जिसे करेंसी में मिलने से कडक़पन आता है। इस करेंसी को तत्काल बंद किया जाए और ब्रिटेन सरकार याद रखे कि हिंदुओं की भावनाओं से खिलवाड़ करने वालों को मुंह की खानी पड़ेगी।
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