मंडी। अंतर्राष्ट्रीय मंडी शिवरात्रि के अवसर पर जहां पड्डल के मुख्य स्टेज पर लाखों रूपए लेकर मुंबईया और पंजाबी कलाकार अपना कार्यक्रम पेश कर रहे हैं। वहीं लोक कलाकारों को भी अपनी कला प्रदर्शन करने का अवसर मिल रहा। शास्त्रीय संगीत, नृत्य और गायन के अलावा रंगमंच जैसी विधा जो खुले मंच के बजाय इंडोर में प्रभावी रहती है। वहीं इन विधाओं के श्रोता और दर्शक अलग होते हैं। शिवरात्रि में इस तरह की कलाओं के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में पिछले सात सालों से प्रयास जारी है। इसी कड़ी में एसवीएम स्कूल महाजन बाजार के सभागार में नृत्य, गायन एवं शास्त्रीय संगीत की महफिल भी जमी। मेले के शोरोगुल से हटकर इस सांस्कृतिक संध्या में उस्ताद कलाकारों की स्वर लहरियों के अलावा कत्थक नर्तकों के घुंघरूओं की झंकार ,सरोद, सितार और बांसुरी की मधुर तान ने श्रोताओं को जैसे सम्मोहित कर दिया। [ Beas Tragedy : अब तक सबक नहीं सीख पाया Himachal] [ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
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