मुंबई। देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली 13 दिन पुरानी भाजपा सरकार ने
महाराष्ट्र विधानसभा में बुधवार को पूर्व सहयोगी शिवसेना के विरोध के बीच
ध्वनिमत से विश्वास मत जीत लिया। विधायक आशीष शेलार द्वारा रखा गया विश्वास
मत प्रस्ताव सदन में पारित हो गया जहां सत्तारूढ सरकार अल्पमत में है।
सदन में विश्वास मत रखे जाने के बाद शिवसेना विधायक मत विभाजन की मांग करते
हुए आसन के समक्ष आ गए, मगर विधानसभा अध्यक्ष हरिभाउ बागडे ने शोर-शराबे
के बीच घोषणा की, "विश्वास मत पारित हो गया है।"
इसके बाद कांग्रेस-शिवसेना विधायकों ने गवर्नर के आगमन पर बाहर उनकी गाडी को आधा
घंटे षेरे रखा व नारेबाजी की। बाद में हंगामे व राज्यपाल वापस जाओ के नारों
के बीच गवर्नर विद्यासागर राव का अभिभाषण शुरू हुआ। उनके संबोधन के दौरान
लगातार नारेबाजी होती रही।
इससे पूर्व कांग्रेस के
पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि कांग्रेस ध्वनिमत से बहुमत
सिद्ध करने का विरोध करने के साथ ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के
इस्तीफे की मांग करती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और अन्य
विपक्षी दलों ने विधानसभा अध्यक्ष हरिभाऊ बागडे से मतदान के जरिए बहुमत
साबित करने की मांग की थी, लेकिन उन्होंने विपक्षी दलों की बात को स्वीकार
नहीं करते हुए और बहुमत सिद्ध करने की परंपरा को तोडते हुए ध्वनिमत से
सरकार के पक्ष में बहुमत सिद्ध घोषित कर दिया।
महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे ने कहा कि
भाजपा सरकार बहुमत साबित नहीं कर सकी है। ध्वनिमत से बहुमत सिद्ध करना
कानून के खिलाफ है। ठाकरे ने कहा कि केंद्र में जब अटल बिहारी वाजपेयी अपना
विश्वास प्रस्ताव रखा था उस समय सिर्फ एक मत से उनकी सरकार गिर गई थी।
उन्होंने
कहा कि महाराष्ट्र में भाजपा सरकार ने सभी नियमों और राज्यपाल चिरंजीवी
विद्यासागर राव के आदेश का भी उल्लंघन किया है। कांग्रेस के विधायक
राज्यपाल से मिलकर भाजपा को दोबारा मतदान के जरिए बहुमत साबित करने की मांग
करेंगे। ठाकरे ने कहा कि भाजपा ने नियम विरूद्ध जो काम किया है, उसे पूरे
देश के लोेगों ने देखा है और आज सदन में पहले ही दिन भाजपा ने लोकतंत्र की
हत्या की है। देवेंद्र फडणवीस की सरकार आज सदन में बहुमत सिद्ध नहीं कर सकी
और यह सरकार अभी भी अल्पमत में है।
दूसरी ओर, शिवसेना के आक्रोशित सदस्यों ने कहा कि वह विश्वास मत का विरोध
करेगी और मांग की कि इसके नेता एकनाथ शिन्दे को नेता विपक्ष का दर्जा दिया
जाए। पार्टी ने नारेबाजी की।
विधानसभा अध्यक्ष ने बाद में शिन्दे
को सदन में नेता विपक्ष नियुक्त करने की घोषणा की।
इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष बागडे ने कहा था कि वह नेता विपक्ष के पद की
शिवसेना की मांग को विश्वास मत के बाद देखेंगे, क्योंकि कांग्रेस ने भी
दावा किया है और उन्हें कानूनी जटिलताओं का अध्ययन करना होगा। कांग्रेस ने
इस आधार पर नेता विपक्ष के पद की मांग की थी कि शिवसेना भाजपा नीत राजग का
हिस्सा बनी हुई है । शिवसेना के सदस्यों द्वारा विश्वास मत को ध्वनि मत से
पारित किए जाने पर आपत्ति जताए जाने और मत विभाजन की मांग किए जाने के बाद
बागडे ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। जब कार्यवाही फिर से शुरू हुई तो
अध्यक्ष ने शिन्दे को सदन में नेता विपक्ष नियुक्त करने की घोषणा की।
बाद में नेता विपक्ष एकनाथ शिंदे ने आरोप लगाया कि भाजपा गैर कानूनी ढंग से
बहुमत सिद्ध किया है, जिसे हम मान्य नहीं करेंगे।
शिंदे ने कहा,
अध्यक्ष से पहले ही मतदान के जरिए बहुमत सिद्ध करने की मांग की गई थी,
लेकिन उन्होंने हमारी मांग को अस्वीकार कर दिया। उन्होंने कहा कि
महाराष्ट्र में बहुमत सिद्ध करने की परंपरा पहले कभी ऎसी नहीं थी। भाजपा
नियम का उल्लंघन करते हुए अल्पमत में होते हुए बहुमत सिद्ध करने की बात कर
रही है। उन्होंने कहा कि यदि देवेंद्र फडणवीस में हिम्मत है, तो वह मतदान
के जरिए अपना दोबारा बहुमत सिद्ध करें, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी
हो जाएगा। सरकार पर कितने लोगों का विश्वास है, यह स्पष्ट होना चाहिए।
ध्वनिमत से कैसे मालूम होगा कि पक्ष और विपक्ष में कितने मत मिले।
इससे पूर्व, आज दिन में बागडे को सर्वसम्मति से विधानसभा अध्यक्ष के रूप
में चुन लिया गया। शिवसेना और कांग्रेस ने इस पद की दौड से अपने
उम्मीदवारों को हटा लिया था।
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