शिमला। हिमाचल प्रदेश के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों शिमला और मनाली में साफ मौसम के बावजूद जनजीवन पटरी पर नहीं उतरा है। भारी बर्फबारी के चलते विभिन्न स्थानों पर यातायात, बिजली व संचार व्यवस्था अभी तक ठप्प पड़ी है, जिससे लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सोमवार को धूप खिलने के बाद प्रशासन ने अवरूद्व सडक़ों को खोलने के प्रयास फिर शुरू किए लेकिन स्थिति सामान्य होने में अभी समय लगने की संभावना है। सुविधाओं को पटरी पर लाना प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है। हालांकि शिमला में दोपहर बाद फिर से मौसम खराब हो गया है। शिमला और कुल्लू जिलों में सडक़ें बर्फबारी के 72 घंटे बाद भी अवरूद्व हैं। वहीं बहाल सडक़ों पर बर्फबारी के कारण फिसलन होने से घंटों जाम लगा रहा। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार बर्फ प्रभावित इलाकों में 400 सडक़ें बंद पड़ी हैं जबकि परिवहन निगम की कई बसें बर्फबारी में फंसी हुई हैं। [@ छेड़छाड़ का विरोध करने पर महिला को सरेआम पीटा, वीडियो वायरल]
मनाली, सोलंगनाला के अलावा शिमला के कुफरी, ठियोग और फागू में फंसे सैलानियों को निकालने के लिए प्रशासन की टीमें जदोजहद कर रही हैं। बीते 24 घंटों में शिमला के ढली और चौपाल में बर्फ पर से फिसलने से दो लोगों की मौत हुई है। पर्यटन नगरी मनाली लगातार तीसरे दिन भी बिजली व पानी की समस्या से जूझ रही है जिसके चलते पर्यटकों व स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि कल्लू व मनाली के बीच सडक़ मार्ग को यातायात के लिए बीते कल खोल दिया गया है परन्तु अभी छोटे वाहन ही गुजर रहे हैं। जिला भर के दर्जनों ग्रामीण रूट भारी बर्फबारी के चलते बंद पड़े हैं जिसके चलते स्थानीय लोगों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। राजधानी शिमला में भी कमोबेश ऐसे ही हालात हैं। मौसम खुलने पर भी राजधानी के बाशिंदे बुनियादे सुविधाओं के लिए जूझ रहे हैं। विद्युत आपूर्ति विभाग भले ही आपूर्ति बहाल करने के दावे करे, मगर ये हकीकत से कोसों दूर है। बिजली महकमे ने मुस्तैदी दिखाते हुए राजधानी के वीआईपी क्षेत्रों में तो बिजली आपूर्ति बहाल कर दी लेकिन कई उपनगर अभी भी अंधेरे में हैं।
अस्पतालों तक में मरीज कड़ाके की ठण्ड में ठिठुरने को विवश हैं। इसी तरह कहीं पेयजल आपूर्ति नहीं हो रही, तो कहीं पाइपें ठण्ड की वजह से जम चुकी हैं। इधर सडक़ों से बर्फ हटाने में निगम की मशीनरी सुबह से ही जुटी रही मगर अभी भी अनेक सडक़ों पर बर्फ की मोटी परत जमा है जिससे चलने-फिरने में दिक्कत आ रही है। तीन दिन बाद आज सुबह शिमला वासियों को दूध, ब्रैड, सब्जी और अखबार जैसी बुनियादी वस्तुओं उपलब्ध हो पाईं। उपरी शिमला में संपर्क मार्गो में बर्फबारी के कारण फंसी बसों को निकालने के अलावा सडक़ों की स्थिति को बहाल करने में भी प्रशासन के पसीने छूट गए हैं। लोक निर्माण विभाग ने करीब दो दर्जन मशीनें यहां सडक़ बहाली के लिए लगा रखी है। इसके अलावा सैकड़ों मजदूर बर्फ को हटाने में लगे हैं। रामपुर-नारकंडा, रामपुर-रोहड़, रामपुर-जलोड़ी, रामपुर-मुनिश, रामपुर-खमाड़ी, आदि मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध है जिससे सामान्य जन-जीवन पूरी तरह ठहर सा गया है। मात्र दो फीट बर्फबारी से उत्पन्न हुई इस विकराल स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन के हाथ पांव फूलने से लोग ये सोचने को विवश हैं कि जब राजधानी का ही ये हाल है तो दूर-दराज इलाकों की स्थिति कैसी होगी।
इस बीच प्रदेश के न्यूनतम तापमान में भारी गिरावट आने से अधिकांश क्षेत्रों में तापमान जमाव बिंदू से काफी नीचे चला गया हैं। राज्य के पांच शहरों में पारा माइनिस में पहुंच गया है। लाहौल-स्पीति के केलंग में इस सीजन की सबसे सर्द रात रही, यहां न्यूनतम तापमान शून्य से 12 डिग्री नीचे सिरक गया। तापमान घटने से लाहौल घाटी की पानी आपूर्ति करने वाली अनेक लाइनें जम गयी हैं, जबकि अनेक जलाशय भी जम गये हैं। राज्य के अन्य शहरों में भी पारा शून्य के नीचे पहुंच गया है। किन्नौर जिले के कल्पा में न्यूनतम तापमान माइनिस 7.6 डिग्री, पर्यटन नगरी मनाली में माइनिस 6.2 डिग्री, शिमला में माइनिस 0.8 और सलुणी में माइनिस 0.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इसके अलावा भुंतर में 0.1, सोलन में 1, सुंदरनगर में 1.5 डिग्री सेल्सियस रहा।
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