श्रीनगर। पिछले साल जब कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन के दौरान रोज नौजवानों की लाशें उठ रही थीं, दूसरी तरफ उसी दौरान हुर्रियत कांफ्रेंस के पाकिस्तान परस्त नेता सैय्यद अली शाह गिलानी के पोते को जम्मू-कश्मीर सरकार नौकरी का तोहफा बख्शीस कर रही थी। इसके लिए सभी कायदे-कानून भी ताक पर रख दिए गए थे। [ इस मंदिर में सात दिन जलाए दीपक, हो जाएगी शादी ] [ अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे]
मोटी पगार पर हुई नियुक्ति
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, पीडीपी-भाजपा गठबंधन ने अनीस उल इस्लाम को श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कांफ्रेंस सेंटर (एसकेआईसीसी) में बतौर रिसर्च ऑफिसर नियुक्त किया। एसकेआईसीसी जम्मू-कश्मीर पर्यटन विभाग का हिस्सा है। इस नौकरी में अनीस हर महीने करीब 1 लाख रुपये तनख्वाह और पेंशन जैसी सुविधाओं के हकदार हैं। अखबार के सूत्रों का दावा है कि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस वेकेंसी की जानकारी सरकार की भर्ती एजेंसियों को नहीं दी।
नियमों के मुताबिक, सरकारें ऐसी नियुक्तियां पब्लिक सर्विस कमीशन और राज्य अधीनस्थ चयन बोर्ड के जरिये करती हैं। एसकेआईसीसी के एक अधिकारी ने अखबार को बताया कि पर्यटन सचिव फारुक शाह ने गिलानी के पोते को पहले ही चुन लिया था। वह नियुक्ति के लिए बनी सीनियर सेलेक्शन कमेटी के चेयरमैन थे। विभाग ने ऐसे वक्त गिलानी को नौकरी देने का फैसला किया जब वादी में हिंसक प्रदर्शन पूरे जोरों पर चल रहे थे।
प्रशासन की सफाई
हालांकि फारुक शाह का दावा है कि अनीस को नियमों के तहत ही नौकरी पर रखा गया है। उनका कहना है कि अनीस को उनकी योग्यता के आधार पर चुना गया और करीब 140 उम्मीदवारों ने आवेदन जमा किये थे, लेकिन नौकरी के लिए अर्जी देने वाले कई लोगों का कहना है कि उन्हें इंटरव्यू के लिए बुलाया ही नहीं गया था।
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