नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को राजनीतिक पार्टियों को 20,000 रुपये तक दान में देने वालों की पहचान स्पष्ट करने से छूट देने के आयकर अधिनियम के प्रावधान को चुनौती देती एक याचिका की तत्काल सुनवाई करने से इंकार कर दिया है।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की सदस्यता वाली अवकाश पीठ ने जनहित याचिका (पीआईएल) को 11 जनवरी के लिए अधिसूचित करते हुए याचिकाकर्ता अधिवक्ता एम. एल. शर्मा से पूछा कि याचिका की तत्काल सुनवाई क्यों जरूरी है,
जबकि यह प्रावधान 1961 से आयकर अधिनियम का हिस्सा है। शर्मा ने यह कहकर तत्काल सुनवाई के लिए जोर दिया कि राजनीतिक पार्टियां नोटबंदी का लाभ उठा रही हैं और 20,000 रुपये तक की बड़ी राशियां उनके खातों में जमा की जा रही हैं।
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