जोधपुर। हमारे समाज में प्राचीन काल से बचत की आदत को अपनाया जा रहा है और इसे भविष्य के लिए खुशहाली का रास्ता भी बताया है। लोगों की इसी आदत ने इस बार जनता को आर्थिक तंगहाली से बचा लिया है। भले ही देश में पांच सौ और एक हजार के नोट बंद हो गए हों। लेकिन बचत की इसी आदत ने आज लोगों को कंगाली से बचाया भी है। ऐसा ही उदाहरण है सरदारपुरा निवासी नवनीत। जिनकी बचपन से ऐसी आदत रही है। और आज उनकी ओर से जमा की गई चिल्लर ही उनके लिए वरदान साबित हो रही है। ठीक यही आदत दिव्या की रही। दिव्या ने भी अपने बचत बैंक को ऐसे वक्त काम में ले रही है। जब लोगों को खुले रुपयों के लिए बैंकों के आगे घंटों तक खड़ा रहना पड़ रहा है। लेकिन वे आज ऐसे समय में अपनी बचत से आसानी से काम चला रही है। आखिर पुराने लोगों की बचत की आदत अब काफी काम कर रही है।
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